गयाजी में पितृपक्ष की धूम, सोलह वेदियों पर श्रद्धालुओं ने किया पिंडदान

गयाजी नगरी में 6 सितंबर से चल रहे 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक श्राद्ध कर्म के सातवें दिन लाखों तीर्थयात्रियों ने सोलह वेदियों में से पांच वेदियों पर पिंडदान किया। श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर में पितरों के लिए कर्मकांड, दर्शन और पूजन किया।

गया जी जिले की पितरों की मोक्षस्थली गयाजी नगरी में 6 सितंबर से चल रहे 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक श्राद्ध कर्म के सातवें दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। शनिवार को विष्णुपद मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में देश-दुनिया से आए लगभग 12 लाख तीर्थयात्री मौजूद रहे। त्रिपाक्षिक गयाजी श्राद्ध के तहत पिंडदानियों ने सोलह वेदियों में से पांच वेदियों—कार्तिकपद, दक्षिणाग्निपद, गार्हपत्याग्निपद, आह्वानीयाग्निपद और सूर्यपद—पर अपने पूर्वजों का पिंडदान किया। इस दौरान सबसे अधिक भीड़ विष्णुपद मंदिर में रही। पिंडदानियों ने कर्मकांड के बाद विष्णु चरणों के दर्शन और पूजन भी किया।

देश के विभिन्न हिस्सों से एक दिवसीय पिंडदान करने आए तीर्थयात्रियों की भीड़ भी विष्णुपद मंदिर, सोलह वेदी, देवघाट और अक्षयवट वेदी पर भारी रही। जिला प्रशासन ने सफाई, सुरक्षा, बिजली और आवासन व्यवस्था को दुरुस्त रखा, जिससे तीर्थयात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई। पितृपक्ष मेला के दौरान प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएं “अतिथि देवो भव” की भावना के तहत तीर्थयात्रियों की सेवा में जुटी हैं।

तीर्थयात्रियों ने प्रशासन की व्यवस्था की सराहना की। महाराष्ट्र के गिरधर कुमार गुप्ता, तेलंगाना के एस. लक्ष्मी और झारखंड के रामाकांत तिवारी ने बताया कि परिवार के छह सदस्यों के साथ पिंडदान करने आए हैं और प्रशासन की व्यवस्था देखकर मन प्रसन्न हुआ। जिला प्रशासन के अनुसार, 6 सितंबर से अब तक कुल 15,33,287 तीर्थयात्रियों ने गयाजी में पिंडदान किया है। इनमें 39,177 तीर्थयात्रियों ने मेडिकल उपचार का लाभ लिया और 282 लोगों को व्हीलचेयर उपलब्ध कराई गई। 355 बिछड़े परिजनों को मिलवाया गया और 4,730 तीर्थयात्रियों को टेंट सिटी में निशुल्क ठहराया गया।

आगामी दिनों में पिंडदानियों की भीड़ इस प्रकार रहेगी:
13-14 सितंबर: विष्णुपद, सोलह वेदी
15 सितंबर: सीताकुंड और रामगया
16 सितंबर: गयासिर और गया कूप
17 सितंबर: मुंडपृष्ठा, आदि गया, धौतपद
18 सितंबर: भीमगया, गो प्रचार, गदालोल
19 सितंबर: फल्गु में दूध तर्पण व पितरों की दीपावली
20 सितंबर: वैतरणी श्राद्ध, गौदान
21 सितंबर: अक्षयवट, शैय्या दान, सुफल
22 सितंबर: गायत्री घाट, मातामाह श्राद्ध व आचार्य विदाई

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