गट हेल्थ से है अच्छे मूड और बेहतर नींद का कनेक्शन, बता रहे हैं डॉक्टर

खराब खानपान और अनियमित दिनचर्या के कारण शारीरिक स्वास्थ्य तो खराब होता ही है साथ ही आप मानसिक रूप से भी अस्वस्थ महसूस करने लगते हैं । पाचन क्रिया बाधित होने के पीछे सबसे बड़ा कारण आंतों की खराब होती सेहत है। ऐसे में आंतों को स्वस्थ रखने के लिए खानपान और दिनचर्या में किस तरह के बदलाव हैं जरूरी आइए जानें…
अगर खाने के तुरंत बाद भारीपन य महसूस हो, बार-बार कब्ज, नींद की समस्या हो या नींद बार-बार बाधित होने लगे या फिर हर समय मूड अच्छा नहीं रहता हो, तो स्पष्ट है कि आपकी गट हेल्थ यानी आंत का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।
01 से 07 सितंबर को मनाए जा रहे National Nutrition Week 2025 के मौके पर सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली के गैस्ट्रोएंटेरोलाजिस्ट डॉक्टर सौमित्र रावत बताते हैं कि वास्तव में आंतों का कार्य केवल भोजन पचाने तक ही सीमित नहीं है। यह प्रतिरक्षा तंत्र से लेकर हमारी मन की सेहत को भी प्रभावित करती है।
स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है कि हमारी पाचन क्रिया अच्छी हो, ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे और हम निरंतर सक्रिय रह सकें। इससे आप मानसिक रूप से भी अच्छा महसूस करेंगे। यदि ऐसा नहीं हो पा रहा है तो आंत की सेहत को लेकर आपको सजग हो जाना चाहिए और चिकित्सक की सलाह पर खानपान और दिनचर्या में आवश्यक बदलाव करना चाहिए।
खराब जीवनशैली बन रही है सेहत के लिए जोखिम
काम की आपाधापी में कभी भी और कुछ भी खा लेने की हमारी आदत सेहत के लिए जोखिम पैदा कर रही है। वहीं कुछ लोग व्यस्तता के चलते लंबे समय तक भूख की अनदेखी करते हैं। वहीं, रात में अधिक भोजन कर लेने से भी आंत को नुकसान होता है। इसी तरह अगर सोने- जागने का समय अनियमित है तो यह आंत के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। इन सभी कारणों से बड़ी संख्या में लोग आजकल सीने में जलन, एसिडिटी, कब्ज आदि की शिकायत करने लगे हैं। खानपान की गुणवत्ता भी तेजी से खराब हो रही है। खाने की थाली में फल-सब्जियों की कमी और दैनिक प्रयोग में चाय, काफी व अल्कोहल की अधिकता आंत को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा रही है।
प्रोबायोटिक है लाभदायक
बाजार में प्रोबायोटिक प्रोडक्ट की भरमार है। सभी अच्छी गुणवत्ता व स्वस्थ आंत के लिए बेहतर उत्पाद का दावा करते हैं, पर आपको प्राकृतिक रूप से मिले प्रोबायोटिक पर ही निर्भर होना चाहिए।
प्रोबायोटिक आंतों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। यह आंत में गुड बैक्टीरिया के संतुलन में मददगार होता है। सबसे उपयुक्त और सहजता से प्राप्त होने वाला प्रोबायोटिक्स दही है। साथ ही दक्षिण भारतीय भोजन में फर्मेंटेड फूड की अधिकता होती है। इस तरह के भोजन हमारी आंतों के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होते हैं।
सेहत के लिए जोखिम कारक है देर रात भोजन करना
देर रात भोजन करना आंत के लिए सही नही है। रात के समय भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन लेप्टिन का उत्पादन धीमा हो जाता है। इससे भूख का अनुभव अधिक होता है और लोग अमूमन अधिक खा लेते हैं, पर यही खराब पाचन, गैस, एसिडिटी का कारण बनता है।
स्वस्थ आंतों के लिए इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज
प्रोसेस्ड फूड: चिप्स, बिस्किट, नूडल्स, मीट, रेडी टू ईट फूड आदि। ये पेट के अच्छे बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचाते हैं।
आर्टिफिशियल स्वीटनर: एस्पार्टेम और सैकरीन युक्त चीजें पेट के जीवाणु और ब्लड शुगर पर बुरा असर डाल सकते हैं। ये कोल्ड ड्रिंक, शुगर फ्री च्यूइंगम और लो कैलोरी स्नैक्स में पाए जाते हैं।
रेड और प्रोसेस्ड मीट: इसके अधिक प्रयोग से पाचन संतुलन बिगड़ सकता है। मछली, दाल या चिकन जैसे हेल्दी प्रोटीन वाले विकल्प अपनाना बेहतर होगा।
अधिक चीनी वाला भोजन: इनसे पेट में सूजन भी हो सकती है। जैसे, पेस्ट्री, केक, सफेद ब्रेड, पास्ता, सोडा, एनर्जी ड्रिंक, पैकेट वाले जूस।
अल्कोहल: इससे नींद, पेट के बैक्टीरिया पर बुरा असर होता है।
इन बातों का रहे ध्यान
जरूरत से ज्यादा भोजन करने से बचें और सोने से तीन घंटे पूर्व रात का भोजन अवश्य कर लें।
सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक दिन भर के भोजन का नियम तय करें।
दिनभर में कम से कम दो लीटर पानी पीना आवश्यक है।
माइंडफुल इटिंग का अभ्यास करें, यानी जो खा रहे हैं उस पर ध्यान दें।
शांत वातावरण में भोजन करें । इस दौरान टीवी, मोबाइल आदि से परहेज रखें।
पाचन शक्ति बेहतर रहे, इसके लिए रोजाना कसरत और शारीरिक सक्रियता जरूरी है।
दही छाछ, अदरक, सौंफ, जीरा, आजवाइन, दालचीनी, धनिया आदि मसाले आंत के लिए बेहतर हैं।
उच्च फाइबर युक्त आहार आंतों के लिए बेहतर
साबुत अनाज ( ओट्स, किनुआ, ब्राउन राइस)
फलियां (दाल, छोले, काली बीस )
फल (सेब, केला, बेरीज )
सब्जियां (ब्राकली, गाजर आदि )
नट्स और सीड्स ( जैसे बादाम, अलसी, चिया सीड)
आंत की सेहत खराब होने के पीछे अनेक कारण
आंत बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीव यानी माइक्रोब्स का घर होती है ये भी स्वस्थ रह सकते हैं, जब प्रतिदिन संतुलित और पर्याप्त पोषण युक्त आहार लिया जाए। अधिक तला-भुना भोजन आंत के लिए नुकसानदेह है, साथ ही इससे नींद भी प्रभावित होती है।
अगर अनिद्रा की समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो स्लीप एप्निया की चपेट में आ सकते हैं। इससे मेटाबोलिज्म बिगड़ता है और समय पर भूख नहीं लगती। ये सभी समस्याएं मिलकर मोटापा, उच्च रक्तचाप, हाइपरटेंशन से लेकर एंग्जाइटी और अवसाद का कारण बनती हैं। क्रोध, चिंता या उल्लास में आंतों में भी हलचल पैदा होती है। मूड, नींद और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण डोपामिन और सेरोटोनिन के बनने में आंतों की विशेष भूमिका होती है।