खामोश पहलगाम… सड़कों पर सन्नाटा, वादियों की रौनक गायब; हमले के बाद कैसे हैं हालात?

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा कर करीब 26 लोगों की हत्या कर दी। सैलानियों की चहल पहल से गुलजार रहने वाले पहलगाम की सड़कों पर आज सन्नाटा पसरा हुआ है। दुकानों पर ताले लटके हैं। इलाके में दहशत का माहौल है। बायसरन घाटी में वादियों की रौनक गायब है। घाटी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहीं, कश्मीर घाटी में बुधवार को 35 साल में पहली बार आतंकवादी हमले के खिलाफ बंद रखा गया तथा सभी क्षेत्रों के संगठनों ने पहलगाम पर्यटक स्थल में हुई हत्याओं के विरोध में बंद का समर्थन किया। उधर, सुरक्षा एजेंसियों ने पहलगाम आतंकी हमले के तीन संदिग्धों के स्केच जारी किए हैं।

मिनी स्विटजरलैंड कहलाने वाली बायसरन घाटी मंगलवार सुबह से दोपहर होने तक पर्यटकों की खिलखिलाहटों से गुलजार थी। अचानक से खिलखिलाहट चीत्कार में बदल गई। कायर आतंकी आए और अंधाधुंध गोलियां बरसाकर चले गए। पीछे रह गए गम और दर्द के निशां। भय से कुछ वक्त खामोश हुई बायसरन घाटी अचानक से चारों तरफ से आ रही रोने की आवाज और बचा लेने की गुहार लगाती चीखों से गूंजने लगी। जिसे जहां और जिस तरह राह दिखी भागने लगा। किसी के चेहरे पर खून के छीटें थे, किसी की गर्दन से खून रिस रहा था, किसी के हाथ खून से सने थे।

मेरे पति को बचा लो….
हाथों में लाल चूड़ा पहने एक युवती की चीख और आंखों से बरसते आंसू हर किसी के दिल को दहलादेने वाले थे। पति का शव मैदान के बीचोंबीच पड़ा था। कभी वो उसके पास जाकर इस आस में उसे झंझोड़ रही थी कि मानो वह उठ बैठेगा.. और कभी वो वहां मौजूद कुछ पत्रकारों और लोगों तक मेरे पति को बचा लो…की मदद मांगती नजर आ रही थी।

पति के बहते खून को रोकने के प्रयास और मदद मांगती रही
दूसरी तरफ एक महिला पर्यटक घायल पति को किसी तरह से उठाकर किनारे ले गई। किसी तरह से एक कुर्सी पर बैठाया। उसके बहते खून को रोकने के लिए अपना स्टोल उसके गले पर बांधा। तब तक वह खुद भी खून से सन चुकी थी। सहमी सी वह महिला भी बस चिल्लाती रही कि मेरी हेल्प करो…मेरे पति को बचा लो।

बेटी बोली-पिता कलमा नहीं पढ़ पाए, तो सिर में गोली मारी
हमले में जख्मी पुणे की आसावरी जगदाले (26) ने कहा, आतंकियों ने उनके पिता संतोष जगदाले (54) को तंबू से बाहर निकाला और कलमा पढ़ने को कहा। जब उनके पिता ऐसा नहीं कर पाए, तो उनके सिर और पीठ में तीन गोलियां दाग दीं। उनके चाचा को भी गोलियों से छलनी कर दिया।

मृतकों में करनाल के नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल (26) भी शामिल हैं। कोच्चि में तैनात विनय की छह दिन पहले ही शादी हुई थी। वह हनीमून की छुट्टी पर थे। कानपुर के शुभम द्विवेदी की भी आतंकियों ने हत्या कर दी। उनकी ढाई महीने पहले शादी हुई थी। हैदराबाद में तैनात आईबी अधिकारी मनीष रंजन भी हमले में मारे गए। बिहार निवासी मनीष पत्नी-बच्चों के साथ घूमने गए थे।

पीड़िता बोली- लोगों के कपड़े उतरवाकर धार्मिक पहचान की
घटनास्थल के कुछ वीडियो सामने आए हैं। इनमें चार लोग जमीन पर पड़े दिखाई दे रहे हैं, जिनमें एक बच्चा भी है, जबकि कुर्सी पर बैठा एक व्यक्ति खून से लथपथ है। वीडियो में दो महिलाएं लोगों से मदद की गुहार लगाती दिख रही हैं। एक स्थानीय व्यक्ति उन्हें दिलासा दे रहा है। हमले में बाल-बाल बची एक महिला ने बताया कि आतंकियों ने उसके पति से नाम पूछा और जब पता चला कि वह मुस्लिम नहीं है तो उसके सिर में गोली मार दी। आतंकियों ने कुछ लोगों के कपड़े उतरवाकर उनकी धार्मिक पहचान की। एक अन्य महिला ने बताया, गोलियां चलते ही लोग बचने के लिए भागने लगे, लेकिन कहीं छिपने की जगह ही नहीं थी।

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