खतरे में बच्चों की जान, जर्जर भवन में चल रही है आंगनबाड़ी

जर्जर भवन में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-3 में पढ़ने आने वाले बच्चों और स्टाफ के लिए यह भवन खतरे की घंटी बना हुआ है। कई बार इस मामले में शिकायत के बावजूद अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

जिले के कस्बे में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-3 इन दिनों बच्चों की शिक्षा से ज्यादा उनकी जान के लिए खतरा बना हुआ है। भवन की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। मकान की दीवारों में दरारें, टपकती छत और कमजोर ढांचा देख अब अभिभावक अपने बच्चों को यहां भेजने से डरने लगे हैं। इसके बावजूद प्रशासन की तरफ से आंगनबाड़ी को शिफ्ट करने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

स्थानीय जानकारी के मुताबिक यह भवन करीब 20 साल पहले बना था और तब से लेकर आज तक इसकी मरम्मत नहीं करवाई गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किरण देवी ने बताया कि पिछले 5 वर्षों में भवन की स्थिति लगातार खराब होती गई है। बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है, जिससे कमरे पूरी तरह भीग जाते हैं और बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।

उन्होंने बताया कि कई बार इस संबंध में मौखिक और लिखित शिकायतें संबंधित विभागीय अधिकारियों को दी जा चुकी हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। एक बार सुपरवाइजर मुनेश मौके पर पहुंचीं और तीन दिन में स्थानांतरण का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया।

किरण देवी ने बताया कि कोई प्राइवेट भवन बिना किराए के नहीं मिलता और वे निजी खर्च पर भवन का किराया देने में असमर्थ हैं। ऐसे में स्टाफ और बच्चों दोनों की जान हर दिन खतरे में रहती है। स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द आंगनबाड़ी को किसी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए। अन्यथा किसी हादसे के लिए पूरी जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों की होगी।

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