क्यों देरी से होती ब्लड कैंसर की पहचान, डॉक्टर के बताए ये 5 फैक्टर हैं जिम्मेदार

ब्लड कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसके लक्षण अक्सर देर से पहचाने जाते हैं। हर साल सितंबर में ब्लड कैंसर अवेयरनेस मंथ मनाया जाता है ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके। डॉक्टर कुमारदीप दत्ता चौधरी के अनुसार इसके लक्षणों को अक्सर तनाव या अन्य सामान्य बीमारियां समझकर अनदेखा कर दिया जाता है।

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो अलग-अलग तरह से लोगों को अपना शिकार बनाती है। दुनियाभर में यह बीमारी तेजी से फैल रही है और इसलिए जरूरी है कि लोगों में इसे लेकर जागरूकता हो। ब्लड कैंसर इस गंभीर बीमारी का ऐसा ही एक प्रकार है, जिसकी पहचान कई बार देर से होती है। ऐसे में इसे लेकर लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल सितंबर महीने में ब्लड कैंसर अवेयरनेस मंथ मनाया जाता है।

इस मौके पर हमने मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. कुमारदीप दत्ता चौधरी से बात की और जाना कि क्यों ब्लड कैंसर की पहचान अक्सर देर से होती है। आइए जानते हैं इसकी कुछ प्रमुख वजह-

क्यों नजरअंदाज होते हैं ब्लड कैंसर के लक्षण
डॉक्टर बताते हैं कि वयस्कों में ब्लड कैंसर जैसे ल्यूकेमिया, लिंफोमा या मायलोमा के शुरुआती लक्षण, अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं या गलत निदान कर दिए जाते हैं।ऐसा इसलिए क्योंकि ये अक्सर सामान्य, गैर-गंभीर बीमारियों जैसे लगते हैं। इसके अलावा भी ब्लड कैंसर के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने के कुछ कारण हैं, जो निम्न हैं:

एक-दूसरे से मिलते-जुलते लक्षण
थकान, कमजोरी या बेचैनी के लिए अक्सर तनाव, ज्यादा काम, परीक्षा या लाइफस्टाइल को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
बार-बार होने वाला बुखार या इन्फेक्शन, जिनका कमजोर इम्यून सिस्टम, वायरल बीमारी या मौसमी फ्लू समझकर गलत निदान किया जाता है।
बिना किसी स्पष्ट कारण के चोट के निशान या ब्लीडिंग को मामूली चोट या विटामिन की कमी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
वजन कम होना या रात में पसीना आना, जिन्हें तनाव, डाइट या एक्सरसाइज में बदलाव मानकर गलत निदान किया जाता है।
ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ये छोटे-छोटे संकेत हमेशा कैंसर का संकेत नहीं देते, इसलिए मरीज और यहां तक कि डॉक्टर भी शुरुआत में गहराई से जांच नहीं कर पाते।

उम्र
ब्लड कैंसर बढ़ती उम्र में ज्यादा आम है, इसलिए ऊपर बताए गए सामान्य या अस्पष्ट लक्षणों वाले वयस्कों में शुरुआत में इसका संदेह नहीं हो सकता है। इसके बजाय, आमतौर पर एनीमिया, वायरल इ्फेक्शन या लाइफस्टाइल से जुड़े फैक्टर जैसे किसी सामान्य कारण को इसकी वजह मान लिया जाता है।

एक्टिव और बिजी लाइफस्टाइल
वयस्क अक्सर शुरुआती लक्षणों, जैसे थकावट या बार-बार होने वाली बीमारी, को नजरअंदाज कर देते हैं, क्योंकि यह आमतौर पर उनकी रोजमर्रा से जुड़े होते हैं। इसलिए इन्हें सोशल स्ट्रेस, काम या कॉलेज का एक सामान्य पहलू मान लिया जाता है। इसी वजह से कई लोग मेडिकल हेल्प लेने से पहले तब तक इंतजार करते हैं, जब तक कि उनके लक्षण बिगड़ न जाएं या असहनीय न हो जाएं।

लक्षणों का धीरे-धीरे सामने आना
कुछ ब्लड कैंसर, विशेष रूप से क्रोनिक ल्यूकेमिया और लिम्फोमा, धीरे-धीरे विकसित होते हैं। ऐसे में इसके शुरुआती लक्षण महीनों में दिखाई दे सकते हैं और गंभीर होने तक सामान्य लगते हैं।

जागरूकता का अभाव
ज्यादातर युवा और उनका परिवार ब्लड कैंसर के चेतावनी संकेतों के बारे में नहीं जानते हैं, इसलिए वे मेडिकल हेल्प लेने में देरी करते हैं। इसलिए बढ़ती उम्र में नियमित ब्लड टेस्ट कराना चाहिए, ताकि कम हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स या व्हाइट ब्लड सेल्स का समय रहते पता चल जाए।

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