क्या है 65 साल पुराना सिंधु जल समझौता, पाकिस्तान पर कितना होगा असर? पढ़ें हर सवाल का जवाब

पहलगाम हमले के बाद भारत ने जो कदम उठाए हैं, उनमें सबसे बड़ा फैसला है- सिंधु जल समझौते पर रोक लगाना। पाकिस्तान की खेती, पीने का पानी और बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा इसी पानी पर निर्भर है। यह पहला मौका है जब भारत ने सिंधु जल समझौता पर रोक लगाई है।
सिंधु जल समझौते पर भारत के रोक लगाने से पाकिस्तान में जल संकट उत्पन्न होगा और इसका असर कृषि पर पड़ेगा।

19 सितंबर, 1960 में हुआ सिंधु जल समझौता
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
पूर्व और पश्चिम में विभाजित की गईं सिंधु की सहायक नदियां।
सिंधु, चेनाब और झेलम का पानी गया पाकिस्तान के हिस्से।
रावी, ब्यास और सतलुज का पानी इस्तेमाल करता है भारत

क्या है सिंधु जल समझौता?
1960 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच ये समझौता हुआ था।
समझौते में सिंधु बेसिन से बहने वाली 6 नदियों को पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बांटा गया था।
इनमें ब्यास, रावी और सतलुज को पूर्वी नदियां मानते हुए इनका पानी भारत के लिए तय किया गया।
वहीं, सिंधु, चेनाब और झेलम को पश्चिमी नदियां माना गया और इनका पानी पाकिस्तान के लिए तय किया गया।
पश्चिमी हिस्से की नदियों सिंधु, चेनाब और झेलम का 20% पानी भारत रोक सकता है।

विवाद निपटाने का तंत्र
दोनों देशों को विवाद का निपटारा शांतिपूर्ण तरीके से करना होगा।
विवाद आपसी बातचीत से निपटाना होगा।

यदि बातचीत से हल नहीं निकलता है तो मामला सिंधु आयोग पर बने स्थायी आयोग के पास जाएगा।
यदि वह भी विवाद के निपटारा करने में असफल रहता है तो मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में जाएगा। कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार युद्ध हो चुका है लेकिन अब तक कभी भी समझौते को निरस्त या निलंबित नहीं किया गया। लेकिन अब भारत ने इस समझौते को स्थगित कर दिया है।

Back to top button