क्या रोज आठ घंटे की नींद लेने के बाद भी बिगड़ सकती है सेहत?

क्या आप जानते हैं सिर्फ आठ घंटे की नींद लेने से काम नहीं चलेगा? जी हां आप किस समय सोते और जागते हैं यह भी काफी मायने रखता है। दरअसल जब आपका सोने का समय फिक्स नहीं होता तो सेहत को काफी नुकसान (Irregular Sleep Side Effects) पहुंच सकता है। आइए जानें इस बारे में।

अक्सर हम सुनते हैं कि एक वयस्क के लिए रोजाना 7-8 घंटे की नींद जरूरी है। लेकिन क्या सिर्फ घंटे पूरे कर लेना ही काफी है? जवाब है ‘नहीं’। नींद की गुणवत्ता और उसका नियमित समय (Sleep Time) भी उतने ही जरूरी हैं जितना कि उसकी अवधि।

इसलिए अगर आप रोज अलग-अलग समय पर सोते और उठते हैं, भले ही आठ घंटे की नींद पूरी कर लें, तो भी यह आदत आपकी सेहत पर गहरा नेगेटिव असर (Negative Effects of Inconsistent Sleep) डाल सकती है। आइए जानें क्यों सोने का समय फिक्स करना भी उतना ही जरूरी है।

क्यों जरूरी है सोने का फिक्स समय?
हमारे शरीर के अंदर एक नेचुरल घड़ी होती है, जिसे सार्केडियन रिदम कहा जाता है। यह घड़ी 24 घंटे की साइकिल पर चलती है और सूरज के उगने और ढलने के साथ खुद को कॉर्डिनेट करती है। यही घड़ी हमारे सोने-जागने का समय, शरीर के तापमान, हार्मोन्स और पाचन क्रिया को नियंत्रित करती है। जब आप रोज एक तय समय पर सोते हैं, तो यह घड़ी स्थिर रहती है और शरीर के सभी सिस्टम सुचारू रूप से काम करते हैं।

अनियमित समय का सेहत पर असर
जब आपका सोने का समय तय नहीं होता, तो यह नेचुरल क्लॉक गड़बड़ा जाता है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं-

नींद की खराब गुणवत्ता- भले ही आप आठ घंटे सोएं, लेकिन दिन के समय या अनियमित वक्त पर सोने से गहरी नींद और आरईएम स्लीप साइकिल प्रभावित होते हैं। ये वो स्टेज हैं जहां शरीर की मरम्मत, मेमोरी स्टोर और मेंटल रिलैक्सेशन होता है। इसकी कमी का मतलब है कि नींद पूरी होने के बाद भी आप तरो-ताजा महसूस नहीं करते।

हार्मोनल असंतुलन- सार्केडियन रिदम गड़बड़ाने पर मेलाटोनिन हार्मोन ठीक से नहीं बन पाता। साथ ही, कोर्टिसोल और इंसुलिन पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे तनाव बढ़ता है और मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है।

मोटापे और डायबिटीज का खतरा- अनियमित नींद की आदत भूख को कंट्रोल करने वाले हार्मोन घ्रेलिन और लेप्टिन का संतुलन बिगाड़ देती है। इससे बार-बार भूख लगती है, खासकर मीठा और हाई-कैलोरी वाला खाने का मन करता है। लंबे समय में यह आदत वजन बढ़ने और टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकती है।

दिल के स्वास्थ्य पर जोखिम- लगातार सार्केडियन रिदम में गड़बड़ी ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन को प्रभावित कर सकती है, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य और फोकस में कमी- नींद का अनियमित पैटर्न मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन और एंग्जायटी का कारण बन सकता है। इसके अलावा, फोकस करने की क्षमता, याद्दाश्त और फैसले लेने की शक्ति भी प्रभावित होती है।

कमजोर इम्युनिटी- नींद हमारी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाती है। अनियमित नींद शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर देती है, जिससे आप बार-बार इन्फेक्शन का शिकार हो सकते हैं।

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