क्या बच्चा बन गया है जरूरत से ज्यादा जिद्दी… कहीं आप भी तो नहीं कर रहे अनजाने में 3 Parenting Mistakes?

क्या आपका बच्चा आजकल बात-बात पर जिद करने लगा है? छोटी-छोटी बातों पर रूठना अपनी मनमानी करना और आपकी बात न मानना… अगर ये सब आपके घर में आम हो गया है तो यह आर्टिकल आपको जरूर पढ़ना चाहिए। कई बार पैरेंट्स अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो बच्चों की जिद को बढ़ा देती हैं।
क्या आपका प्यारा बच्चा इन दिनों कुछ ज्यादा ही जिद्दी (Stubborn Child) हो गया है? छोटी-छोटी बातों पर नाराज होना, अपनी बात मनवाने के लिए अड़ जाना या हर चीज के लिए ‘ना’ में जवाब देना… अगर ये सब आपके घर की कहानी है, तो सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि आप अकेले नहीं हैं।
हर माता-पिता को कभी न कभी इस चुनौती का सामना करना पड़ता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अनजाने में आपकी कुछ आदतें ही इस जिद्दीपन को बढ़ावा दे रही हों? जी हां, कई बार हम प्यार और अच्छी नीयत से कुछ ऐसा कर जाते हैं, जो बच्चों के बरताव को बुरा असर डालता है। आइए जानते हैं ऐसी 3 Parenting Mistakes, जिनसे आपको हर हाल में बचना चाहिए।
हर जिद के आगे झुक जाना
कई बार हम अपने बच्चों को खुश रखने के लिए उनकी हर जिद पूरी कर देते हैं। उन्हें लगता है कि रोने या गुस्सा करने से उनकी बात मान ली जाएगी, मगर यह सबसे बड़ी गलती है। जब आप हर बार बच्चे की जिद के आगे झुकते हैं, तो वह सीख जाता है कि अपनी बात मनवाने का यही तरीका है। ऐसे में, आपको’ना’ कहना भी सीखना होगा। जाहिर तौर पर शायद आपके लिए यह मुश्किल हो सकता है, लेकिन बच्चे को यह समझना जरूरी है कि हर इच्छा पूरी नहीं हो सकती।
बच्चे पर नहीं देते ध्यान
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते। ऐसे में, बच्चे आपका ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए जिद का सहारा लेते हैं। जब उन्हें लगता है कि जिद करने से उन्हें आपका पूरा अटेंशन मिलता है, तो वे इसे बार-बार दोहराते हैं। ऐसे में, भले ही कुछ मिनटों के लिए, लेकिन बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। जी हां, जब बच्चा आपसे कुछ कहने आए, तो उसकी बात ध्यान से सुनें और उसे महसूस कराएं कि उसकी बातें भी जरूरी हैं।
कभी हां, कभी ना
अगर आपके नियमों में कंसिस्टेंसी नहीं है, यानी आज जिस बात पर आप ‘ना’ कह रहे हैं, कल उसी बात पर ‘हां’ कह देते हैं, तो बच्चा कन्फ्यूज हो जाता है। माता-पिता के रूप में, आपके फैसले एकजुट होने चाहिए। बच्चे के सामने कभी एक-दूसरे से असहमत न हों। बच्चे को यह साफ करें कि उसे भी इन्हीं नियमों का पालन करना होगा।