क्या डायबिटीज, हाई BP और मोटापे से बढ़ता है अल्जाइमर का खतरा?

अक्सर हम अल्जाइमर को सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी मानकर नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन अब डॉक्टर एक चौंकाने वाली सच्चाई की ओर इशारा कर रहे हैं। 21 सितंबर World Alzheimers Day 2025 पर हम एक ऐसी गुत्थी को सुलझाने जा रहे हैं जो आपको अपने लाइफस्टाइल पर फिर से सोचने पर मजबूर कर देगी। आइए जानें डायबिटीज हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे का अल्जाइमर से कनेक्शन।
हर साल 21 सितंबर को World Alzheimer’s Day मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। अल्जाइमर एक ऐसा दिमागी डिसऑर्डर है जो धीरे-धीरे हमारी याददाश्त, सोचने की क्षमता और रोजमर्रा के काम करने की शक्ति को खत्म कर देता है।
अक्सर लोग इसे केवल बढ़ती उम्र से जोड़कर देखते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी कुछ लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां भी इसका खतरा बढ़ा सकती हैं? आज इस आर्टिकल में हम इसी पर बात करेंगे और जानेंगे कि क्या डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापा सच में अल्जाइमर का खतरा (Alzheimer’s Risk Factors) बढ़ाते हैं।
डायबिटीज और अल्जाइमर का कनेक्शन
मेडिकल साइंस में अल्जाइमर को कई बार टाइप-3 डायबिटीज भी कहा जाता है। डायबिटीज से ब्लड शुगर का लेवल लगातार असंतुलित रहता है जिससे ब्रेन कोशिकाओं को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती। इसके अलावा, डायबिटीज ब्रेन में इंसुलिन रेजिस्टेंस पैदा कर देता है, जो याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करता है।
हाई ब्लड प्रेशर का असर
हाई BP से ब्रेन की रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ता है। लंबे समय तक ब्लड प्रेशर नियंत्रित न रहने पर ब्रेन में खून का प्रवाह सही तरह से नहीं हो पाता। यही कारण है कि हाई BP वाले लोगों में उम्र बढ़ने के साथ अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा और अल्जाइमर
मोटापा शरीर में क्रॉनिक इंफ्लेमेशन को बढ़ावा देता है। इससे दिमाग की नसों और कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ता है। खासकर पेट के आसपास जमा फैट कई तरह के हार्मोनल बदलाव लाता है जो ब्रेन हेल्थ को नुकसान पहुंचाते हैं।
एक्सपर्ट की राय
आकाश हेल्थकेयर के न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर एवं हेड डॉ. मधुकर भारद्वाज बताते हैं, “लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स जैसे डायबिटीज, हाई BP और मोटापा सीधे तौर पर दिमाग की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं। ऐसे मरीजों में अल्जाइमर का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा होता है। अगर समय रहते इन्हें नियंत्रित न किया जाए तो याददाश्त, सोचने और समझने की क्षमता तेजी से कम होने लगती है।”
वे आगे कहते हैं, “अच्छी बात यह है कि इन खतरों को हम जीवनशैली में बदलाव लाकर काफी हद तक टाल सकते हैं। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान और शराब से परहेज तथा पर्याप्त नींद ब्रेन हेल्थ को मजबूत बनाने में मदद करती है।”
अल्जाइमर केवल उम्र का असर नहीं है बल्कि यह हमारी जीवनशैली का भी परिणाम हो सकता है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे पर नियंत्रण रखकर हम न सिर्फ दिल और शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि दिमाग को भी लंबे समय तक सक्रिय और सुरक्षित बना सकते हैं।