क्‍या आपने सुना है Digital Fasting का नाम? हेल्दी लाइफ के लिए क्यों है जरूरी

आजकल की भागदौड़ भरी ज‍िंदगी में लोगों के पास एक-दूसरे के लिए समय नहीं है। लोग या तो अपने काम में ब‍िजी रहते हैं या फिर डिजिटल मीडिया में बिजी रहते हैं। फोन तो लोगों की ज‍िंदगी का अहम ह‍िस्‍सा बन चुका है। बच्‍चे हों या बूढ़े, हर क‍िसी के पास स्‍मार्ट फोन है। इसके ब‍िना मानो ज‍िंदगी रुक सी जाती है। लगातार फोन का इस्‍तेमाल करने से दि‍मागी तनाव बढ़ सकता है। इसे दूर करने के लिए एक नई तकनीक काम कर रही है जिसे डिजिटल फास्टिंग के नाम से जाना जाता है।

ये एक ऐसी तकनीक होती है जब फोन या लैपटाॅप टीवी से कुछ समय के ल‍िए दूरी बनाकर रखना होता है। इसे डिजिटल डिटॉक्स कहते हैं। कुल म‍िलाकर डिजिटल फास्टिंग मेंटल हेल्थ काे बेहतर बनाती है। ये नींद की क्‍वाल‍िटी को भी सुधारता है। आज का हमारा लेख भी इसी वि‍षय पर है। हम आपको ड‍िज‍िटल फास्‍ट‍िंग के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से-

क्‍या है Digital Fasting?
डिजिटल फास्टिंग में आपको कुछ घंटों के ल‍िए मोबाइल, लैपटॉप, टीवी या सोशल मीडिया जैसी चीजों से दूरी बनानी होती है। इससे द‍िमाग पर दबाव कम होता है। इसे डिजिटल डिटॉक्स भी कहा जाता है।

डिजिटल फास्टिंग के फायदे क्‍या हैं?
जब आप लगातार फोन में लगे रहते हैं तो इससे आपके र‍िश्‍तों में खटास आ सकती है। ऐसे में ड‍िज‍िटल फास्‍ट‍िंग आपके र‍िश्‍तों को मजबूत कर सकता है।
आप अपने काम को प्रोडक्टिव तरीके से कर पाते हैं।

इससे आपकी द‍िमागी सेहत भी अच्‍छी रहती है।

इससे तनाव कम करने में मदद म‍िलती है।

आप अपनी लाइफ में कुछ बेहतर कर सकते हैं।

क्‍यों जरूरी है ड‍िज‍िटल फास्‍ट‍िंग?
आजकल के ज्‍यादातर युवाओं का समय सबसे ज्यादा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बीत रहा है। ऐसे में उनका स्‍वभाव चिड़चिड़ा होता जा रहा है। लोग द‍िनभर स्क्रीन से चिपके रहते हैं। फोन पर घंटों समय गुजारने का सीधा असर सेहत पर पड़ रहा है। इससे द‍िमागी सेहत भी ब‍िगड़ रही है। ऐसे में ड‍िज‍िटल फास्‍ट‍िंग एक बेहतरीन जर‍िया हो सकता है। अगर आप से तरीका अपनाते हैं तो आपकी नींद बेहतर हो सकती है। इसका असर ओवरऑल आपकी सेहत पर भी देखने को म‍िलेगा।

कैसे करें डि‍ज‍िटल फास्‍ट‍िंग?
शुरुआत में दिन में एक से दो घंटे फोन और स्क्रीन से दूरी बनाएं।

इसके बाद हफ्ते में एक द‍िन ‘नो फोन डे’ बना लें।

बस जरूरी काम के ल‍िए ही फोन का इस्‍तेमाल करें।

स्क्रीन टाइम ट्रैकर ऐप्स का इस्‍तेमाल करें।

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