कोरोना के बीच देश को करना पड़ रहा है नई-नई परेशानियों का सामना, अब किसानों के सामने आया नया संकट…
कोरोना महामारी के बीच देश को नई-नई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ भारी बारिश के कारण फसले बर्बाद हो रही हैं, वहीं अब यूरिया खाद का संकट आ गया है। ताजा खबर है कि देश में कई राज्य इस समय खाद संकट से जूझ रहे हैं। इसका बड़ा कारण लॉकडाउन है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में किसानों ने धान बोआई का क्षेत्र बढ़ने से यूरिया की खरीदारी बढ़ी और संकट आ गया। उत्तराखंड में जून में कोरोना के कारण सीमाएं सील होने से यूरिया की पर्याप्त आपूर्तिं नहीं हो सकी थी। वहीं झारखंड में केंद्र से मांग और आपूर्तिं का संतुलन बिगड़ने के कारण कालाबाजारी जोरों पर है। बिहार में भी 45 फीसदी तक खाद की कालाबाजारी हो रही है।
यही स्थिति हिमाचल प्रदेश में है। अच्छी बात हरियाणा, पंजाब और छत्तीसगढ़ में कोई संकट नहीं है। पंजाब के कृषि सचिव काहन सिंह पन्नू का कहना है कि यूरिया के दो प्लांट नंगल और बठिंडा में हैं। जब भी जरूरत होती है वहां से तुरंत संबंधित क्षेत्र में पहुंचा दिया जाता है। केंद्र सरकार भी इस पर काफी नजर रखती है और कमी नहीं आने देती।
देश में खाद की कमी और राज्यों की स्थिति
- उत्तर प्रदेश में पिछले साल की तुलना में करीब पांच लाख मीट्रिक टन यूरिया खपत और धान का क्षेत्रफल करीब दो प्रतिशत बढ़ा है। गन्ने की फसल में भी डेढ़ फीसद से अधिक की वृद्धि हुई है। इन फसलों में किसान यूरिया की खपत ज्यादा करते हैं।
- हिमाचल प्रदेश में भी खरीफ के अधीन आने वाले क्षेत्र में वृद्धि होने के कारण करीब पांच से सात हजार टन खाद की मांग बढ़ने से खाद संकट पैदा हुआ है।
- जम्मू कश्मीर में 10 अगस्त तक यूरिया की काफी किल्लत बनी हुई थी, लेकिन पिछले दस दिनों में 20 हजार मीट्रिक टन यूरिया पहुंच जाने से अब कुछ राहत मिली है।
- उत्तराखंड में यूरिया की कोई किल्लत नहीं है। इंडियन फार्मर्स फर्टीलाइजर को-ओपरेटिव (इफको) के डिप्टी फील्ड ऑफिसर नीरज कुमार ने बताया कि जून में कोरोना के कारण सीमाएं सील होने से यूरिया की पर्याप्त आपूर्तिं नहीं हो सकी थी, लेकिन अब पर्याप्त स्टॉक पहुंच रहा है।
- बिहार सरकार का मानना है कि 45 फीसदी तक खाद की कालाबाजारी हो रही है। कृषि विभाग ने इसकी निगरानी के लिए 21 अधिकारियों को तैनात किया है। कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन कुछ लोग कालाबाजारी के जरिए बाजार में कृत्रिम अभाव पैदा कर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। अनजाने में कई किसान भी इसमें शामिल हैं, जिन्हें पता नहीं होता है कि उनके आधार कार्ड पर खाद की अवैध बिक्री कर दी जाती है।