कैसे दूर होगा आर्थिक संकट? अर्थव्‍यवस्‍था पर हर बार फेल हो रही मोदी सरकार

नई दिल्‍ली। भारतीय अर्थव्यवस्था आजकल एक ऐसे दौर से गुजर रही है, जिसमें किसी अच्छी खबर को ढूंढ पाना बेहद मुश्किल हो गया है। आर्थिक वृद्धि सुस्त हो गई है। निर्यात निरंतर घटता जा रहा है। खुदरे की महंगाई बढ़ती जा रही है। रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं। बैंक क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट है।

हाल ही में भारत सरकार ने जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के नए आंकड़े जारी किए थे और इन आंकड़ों ने इस बात की पुष्टी कर दी कि भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार ख़राब दौर से गुज़र रही है। मौजूदा तिमाही में जीडीपी 4 दशमलव 5 फ़ीसद पर पहुंच गई जो पिछले छह साल में सबसे निचले स्तर पर है। पिछली तिमाही की भारत की जीडीपी 5 फ़ीसदी रही थी।

वहीं दूसरी तरफ महंगाई का आलम यह है कि प्‍याज की कीमतों को लेकर देशभर में त्राहिमाम की आवाजें सुनाई दे रही हैं। प्याज की कीमतों और भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर शिवसेना ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने कहा है कि वर्तमान में अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है। लेकिन सरकार मानने के लिए तैयार नहीं है। प्याज की कीमतें 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। वित्त मंत्री ने इस मामले में बहुत ही बचकाना जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि मैं प्याज-लहसुन नहीं खाती हूं, इसलिए मुझसे प्याज के बारे में मत पूछो। ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे को हल करने की कोई इच्छा नहीं है।

वहीं इसके साथ ही देश में बिजली की खपत घट रही है। कर राजस्व काफी धीमी गति से बढ़ रहा है, बजट में लगाए गए अनुमान से भी कम गति से। इसलिए सरकार के लिए चालू वर्ष में वित्तीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो रहा है। सरकार ने पिछले कुछ सप्ताहों में कॉर्पोरेट टैक्स को कम करने, हाऊसिंग, रियल एस्टेट, मोटर वाहन और निर्यातों को बढ़ावा देने के लिए बेशक कुछ कदम उठाए हैं लेकिन आर्थिक संकट दूर होता नहीं दिख रहा है।

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