रातों रात केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मूू-कश्मीर और लद्दाख, हुए ये 15 बड़े बदलाव…
आजाद हिंदुस्तान के 70 साल के इतिहास में आज ऐतिहासिक दिन है. देश की जन्नत कहे जाने वाले जम्मूू-कश्मीर और लद्दाख आज से केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं. भारत सरकार के द्वारा 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 की ताकतों को पंगु करने के बाद आज यानी 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग राज्य बन गए हैं. इसी के साथ राज्य में संसद के बने कई कानून लागू हो सकेंगे. इसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश है. आज लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है, जिनका जम्मू-कश्मीर को भारत में विभाजन कराने में अहम किरदार रहा है.
केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर सहित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित घोषित करने वाला राजपत्र (गजट) जारी कर दिया गया है. जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश बना है, साथ ही साथ इसका पुनर्गठन भी हो गया है.
राज्य के पुर्नगठन के प्रभाव में आने की तारीख 31 अक्टूबर रखी गई जो देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की जयंती का दिन है. आजादी के वक्त 565 रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर एक मजबूत भारत बनाने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल के जन्मदिन पर जम्मू-कश्मीर का पुर्नजन्म ऐतिहासिक है.
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आज से जम्मू-कश्मीर में क्या बदल गया?
1. अब तक पूर्ण राज्य रहा जम्मू-कश्मीर गुरुवार यानी 31 अक्टूबर से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बदल गया. जम्मू-कश्मीर का इलाका अलग और लद्दाख का इलाका अलग-अलग दो केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं.
2. जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन कानून के तहत लद्दाख अब बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश बन गया है.
3. अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था लेकिन अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उप-राज्यपाल होंगे. जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है.
4. अभी दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा लेकिन दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग होंगे. सरकारी कर्मचारियों के सामने दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा.
5. राज्य में अधिकतर केंद्रीय कानून लागू नहीं होते थे, अब केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों राज्यों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो पाएंगे.
6. इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है.
7. जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम 7 कानूनों में बदलाव होगा.
8. राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया था. हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे.
प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था में भी बदलाव
9. राज्य के पुनर्गठन के साथ राज्य की प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था भी बदल रही है. जम्मू-कश्मीर में जहां केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ साथ विधानसभा भी बनाए रखी गई है. वहां पहले के मुकाबले विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह 5 साल का ही होगा.
10. विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ साथ अब अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी.
11. पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10% से ज़्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं.
12. जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी. हालांकि राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
13. केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से 5 और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुन कर आएगा. इसी तरह से केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के 4 सांसद ही चुने जाएंगे.
परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है चुनाव आयोग
14. एक बड़ी बात ये भी है कि 31 अक्टूबर के बाद चुनाव आयोग राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है. जिसमें आबादी के साथ भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक बिंदुओं पर ध्यान रखा जा सकता है.
15. जम्मू कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे. जिनमें 4 लद्दाख की, 46 कश्मीर की और 37 जम्मू की सीटें थीं. लद्दाख की 4 सीटें हटाकर अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं, जिनमें परिसीमन होना है.
जम्मू-कश्मीर में बढ़ सकती हैं विधानसभा की सीटें
प्रस्तावित परिसीमन के मुताबिक केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 7 सीटें बढ़ सकती हैं. 7 सीटें बढ़ने पर केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 90 सीटें हो जाएंगी. माना जा रहा है कि जम्मू के इलाके की सीटें बढ़ेंगी, क्योंकि हमेशा से ये कहा जाता रहा है कि जम्मू को पूरा प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है. जम्मू संभाग की आबादी 69 लाख है, और वहां से 37 सीटें हैं जबकि कश्मीर घाटी की आबादी 53 लाख है, और वहां से 43 सीटें हैं.
जिस नए कश्मीर का नारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही दे चुके हैं, अब उसका शुभारंभ हो गया है. उम्मीद यही है कि जम्मू-कश्मीर को उस खूनखराबे से मुक्ति मिलेगी जिसमें पाकिस्तान और उसके एजेंटों ने कश्मीर को झोंक रखा है. साथ ही चुनौती भी है कि खासतौर पर कश्मीर घाटी के लोगों के इस बदलाव से जुड़ने में कितना समय लगेगा.