केंद्रशासित प्रदेश बनते ही लद्दाख को मिला पूर्ण साक्षर का तमगा, जम्मू-कश्मीर से निर्भरता हुई खत्म

अनुच्छेद 370 के खात्मे और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद छह साल की अवधि में लद्दाख ने खासतौर पर शिक्षा, भाषाई विरासत को बचाने के मामले में परिवर्तन की अभूतपूर्व लहर देखी है।

हिंसक आंदोलन से चर्चा में आए लद्दाख की छह साल पहले अपनी पहचान और निर्भरता जम्मू-कश्मीर में समाई हुई थी। लद्दाख के पास अपना केंद्रीय विवि तो दूर अपना विवि तक नहीं था। जम्मू-कश्मीर का हिस्सा रहते लद्दाख की भोटी, पुर्गी जैसी भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा तक हासिल नहीं था। न तो सिविल सेवा के परीक्षा केंद्र थे और न ही एसएससी की परीक्षाएं ही लद्दाख में आयोजित होती थीं।

अनुच्छेद 370 के खात्मे और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद छह साल की अवधि में लद्दाख ने खासतौर पर शिक्षा, भाषाई विरासत को बचाने के मामले में परिवर्तन की अभूतपूर्व लहर देखी है। गौरतलब है कि केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले लद्दाख हर मामले में जम्मू-कश्मीर पर निर्भर था। स्थानीय लोगों की 71 साल पहले (साल 1949) की केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की अनदेखी मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम वर्ष 2019 में खत्म हुई। सात दशक की अनदेखी के खात्मे और लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश के रूप में भारतीय मानचित्र पर उभरने के बाद न सिर्फ लद्दाख के अपनी पुरानी गौरवशाली पहचान मिली है, बल्कि शिक्षा का हब बना, भाषाई विरासत की रक्षा के मामले में नए केंद्रशासित प्रदेश के इतिहास में कई सुनहरे पन्ने जुड़ गए हैं।

2019 के बाद कई उपलब्धियां जुड़ीं
दो वर्ष पूर्व लद्दाख में सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। लद्दाख के इस इकलौते केंद्रीय विवि में ऊर्जा प्रौद्योगिकी, नीति, वायुमंडलीय एवं जलवायु विज्ञान में एमटेक, लोकनीति में एमए सहित तीन अन्य विषयों में स्नातकोत्तर स्तर के कार्यक्रम उपलब्ध हैं। साल 2019 में पीएम मोदी ने इस केंद्रशासित प्रदेश के पहले लद्दाख विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। इसी दौरान इस केंद्रशसित प्रदेश को पहला क्लस्टर विवि मिला जिसमें लेह, कारगिल, नुब्रा,जांस्कर, द्रास ओर खालत्सी डिग्री कॉलेज शामिल हैं। इसके अलावा इसी साल केंद्र सरकार ने लद्दाख के एमबीबीएस की सौ सीटों की क्षमता वाले मेडिकल कॉलेज को मंजूरी दी है।

सिविल सेवा परीक्षा का पहला केंद्र बना
लेह में पहला यूपीएससी-सिविल सेवा केंद्र स्थापित किया गया। इस केंद्र में बीते चार वर्षों से प्रारंभिक परीक्षा आयोजित हो रही है। स्थानीय बी और सी श्रेणी के पदों के लिए एसएससी परीक्षाएं अब लेह में आयोजित हो रही हैं। तकनीकी शिक्षा तक लद्दाख के लोगों की आसान पहुंच के लिए एनआईटी श्रीनगर के स्नातक कार्यक्रमों में लद्दाख के छात्रों के लिए 5 प्रतिशत के आरक्षण की व्यवस्था की गई। नए अधिवास और आरक्षण नियमों के तहत स्थानीय निवासियों के लिए 85 प्रतिशत आरक्षण और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषदों में एक तिहाई सीटों का आरक्षण की व्यवस्था की गई।

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