कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों के हौसले बुलंद, 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान

नई दिल्ली। कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों के हौसले बुलंद हैं। किसान संगठनों ने 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। इस बात का फैसला शुक्रवार को किसानों के आंदोलन को संचालित करने के लिए बने एआईकेएससीसी की वर्किंग ग्रुप की बैठक में लिया गया। बैठक में तय किया गया कि सरकार द्वारा लाए गये खेती के तीन अध्यादेशों का पुरजोर विरोध किया जाएगा। बंद से पहले एआईकेएससीसी ने इन नए कानूनों के खिलाफ व्यापक प्रतिरोध संगठित करने का फैसला किया है।

एआईकेएससीसी की बैठक में 27 सितंबर को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के 114वें जन्मदिन के अवसर पर भी विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला किया गया। कृषि अध्यादेशों के साथ ही नया बिजली बिल, तथा डीजल व पेट्रोल के दाम में वृद्धि को भी शामिल किया गया है। किसान नेताओं का कहना है कि कृषि अध्यादेशों पूरी तरह से फसलों की सरकारी खरीद पर रोक लगा देंगे, जिससे फसलों के दाम की सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। निजी मंडियां बनाए जाने के बाद और आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से अनाज, दलहन, तिलहन, आलू, प्याज हटाए जाने के बाद इन वस्तुओं की कीमतों व व्यापार पर सरकार का नियमन समाप्त हो जाएगा।
किसान नेताओं ने कहा कि नड्डा का यह आश्वासन कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा, धोखाधड़ी और झूठ है। दुनिया के सभी देशों में सरकारें किसानों की फसल के दाम की सुरक्षा देती हैं। कम्पनियां केवल सस्ते में खरीद कर महंगा बेचती हैं और मुनाफा कमाती हैं। भाजपा सरकार कारपोरेट मुनाफे के लिए कार्य कर रही है और सारी खाद्यान्न श्रृंखला को निजी क्षेत्र के लिए खोल रही है। किसान नेताओं ने कहा कि
भाजपा शासन में किसानों की कर्जदारी बढ़ी है। अब ठेका खेती में किसानों की जमीन को शामिल करके कम्पनियां नए कानून के अनुसार उन्हें और महंगे दाम पर खाद बीज खरीदने के लिए मजबूर करेंगी।
किसान नेताओं का कहना है कि भारत में लगभग हर घंटे पर दो किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार आत्मनिर्भरता का दे रही है, लेकिन किसान हितों को बड़ी कम्पनियों के हवाले कर रही है। एआईकेएससीसी ने देश के लोगों से इन नए कानूनों का विरोध करने और अनु बुनियादी मांगों का समर्थन करने की अपील की है।
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