कुत्ते की नाक के आकार ने दी वैज्ञानिकों को उम्मीद, अनोखी बीमारी का इलाज होगा मुमकिन

क्या कुत्ते की नाक का आकार इंसानों के काम आ सकता है? क्या ये आकार इंसानों के बच्चों की पैदाइश के समय उनकी किसी समस्या को सुलझा सकता है?  एक स्टडी में वैज्ञानिकों को ऐसी ही उम्मीद की किरण दिखाई दी है. बच्चों में होने वाले पैदाइशी विकार के इलाज की उम्मीद उन्हें कुत्ते की एक नस्ल में दिखाई दी है जिसकी नाक का खास तरह का आकार होता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस नस्ल के कुत्तों की जीन का अध्ययन के आधार पर वे इंसानों के इस विकार का इलाज कर सकते हैं.

क्या है ये विकार?
कई बार कुछ बच्चे जन्म के समय ही विकृत नाक के साथ पैदा होते हैं. उनकी नाक और होठ के बीच का हिस्सा अलग अलग सा दिखता है और इसके लिए एक अनुवांशिकी और एक खास तरह की जीन्स जिम्मेदार है. इस तरह के आकार बनने को ओरोफेसियल क्लेफ्ट या बिफिड नोज़ कहते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि पीडीजीएफआरए जीन भ्रूण के विकास के दौरान चेहरे के उन ऊतकों को जोड़ने में अहम भूमिका निभती है जो होंठ और नाक के बीच के हिस्से को बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.

एक शिकारी कुत्ते की नस्ल
क्लेफ्ट या बिफ्ट नोज़ इंसानों में ही नहीं कुत्तों में भी कभी कभी दिखती है. लेकिन  एक शिकारी कुत्ते में ऐसी नाक कुदतरी तौर पर दिखाई देती है. प्वाइंटिंग डॉग्स  की नाका पिछले सैकड़ों सालों से यूरोप में ऐसी ही देखी जा रही है.  विश्लेषण में पाया गया है कि कुत्तों के नाक के अलग-अलग और क्लेफ्ट नोज़ की तरह दिखने के लिए जिम्मेदार वहीं जीन जिम्मेदार है, जो इंसानों मे क्लेफ्ट नोज़ बनाने के लिए जिम्मेदार है.

हो सकता है चमत्कार
वैज्ञानिकों का मनाना है कि पीडीजीएफआरए जीन में थोड़ा सा बदलाव चमत्कार कर सकता है. केटीएप रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के पीटर सावोलेनिन का कहना है कि इस विषय में गहन अध्ययन इस समस्या का समाधान दे सकता है. लैब में जानवरों पर किए गए अध्ययन बताते हैं कि इस जीन में गड़बड़ी मुंह और नाक के जुड़ी संरचना में दखल देने का काम करते हैं.

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