किसान दिवस पर पढ़ें चौधरी चरण सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें, जिसे जानना बेहद जरूरी..

23 दिसंबर 2018 को चौधरी चरण सिंह का 116 वां जनम दिवस है. “किसान दिवस” के अवसर पर आज हम याद कर रहे हैं उस मेहनतकश की जो अपना पसीना एक करके हम सब तक पोषण पहुंचाता है, लेकिन आज भी भारत का शहरी तबका उसको गंवार मानता है. समझिये आज किसान बजार की ताकत से पहले से कहीं अधिक शोषित है, जानिए आज भी किसान की आवाज जाती और धर्म में बटी है. 

किसान की आवाज कमज़ोर ही नहीं, गायब है. समझिये की शासन – चाहे किसी भी राजनैतिक दाल का क्यों नहीं हो – गांव, कृषि और किसान का हिमायती नहीं है. यह भी जानिए की आज किसान भी दोषी है – वह काश्त के हजारों साल पुराने परंपरागत तरीके भूल गया है, और भूमी मां में कीटनाशक और उर्वरक जहर बिना सोचे-समझे घोलता है. कृषि अब धर्म नहीं, केवल व्यवसाय बना रह गया है.

किसान मसीहा चरण सिंह के दिखाए रस्ते से भटक गया देश, भटक गया किसान, भटक गया समाज. उन्होंने सत्ताधारियों की चेतावनी और तावीज़ दी थी “देश की खुशहाली का रास्ता गाओं के खेतों से गुजरता है”. अफ़सोस, आज कृषि, किसान और ग्रामीण भारत व्याकुल हैं.

नई दिल्लीः 23 दिसंबर 2018 को चौधरी चरण सिंह का 116 वां जनम दिवस है. “किसान दिवस” के अवसर पर आज हम याद कर रहे हैं उस मेहनतकश की जो अपना पसीना एक करके हम सब तक पोषण पहुंचाता है, लेकिन आज भी भारत का शहरी तबका उसको गंवार मानता है. समझिये आज किसान बजार की ताकत से पहले से कहीं अधिक शोषित है, जानिए आज भी किसान की आवाज जाती और धर्म में बटी है. 

किसान की आवाज कमज़ोर ही नहीं, गायब है. समझिये की शासन – चाहे किसी भी राजनैतिक दाल का क्यों नहीं हो – गांव, कृषि और किसान का हिमायती नहीं है. यह भी जानिए की आज किसान भी दोषी है – वह काश्त के हजारों साल पुराने परंपरागत तरीके भूल गया है, और भूमी मां में कीटनाशक और उर्वरक जहर बिना सोचे-समझे घोलता है. कृषि अब धर्म नहीं, केवल व्यवसाय बना रह गया है.

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किसान मसीहा चरण सिंह के दिखाए रस्ते से भटक गया देश, भटक गया किसान, भटक गया समाज. उन्होंने सत्ताधारियों की चेतावनी और तावीज़ दी थी “देश की खुशहाली का रास्ता गाओं के खेतों से गुजरता है”. अफ़सोस, आज कृषि, किसान और ग्रामीण भारत व्याकुल हैं.

23 दिसंबर 1902 को गाजियाबाद के नूरपुर गांव में जन्मे चौधरी चरण सिंह गरीबों और किसानों के तारणहार थे. वह किसानों और गरीबों को समझते थे, इसीलिए उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों के लिए समर्पित कर दिया और इसीलिए वह एक व्यक्ति नहीं एक विचारधारा के तौर पर जाने जाते हैं.

चौधरी चरण सिंह देश के पांचवे प्रधानमंत्री थे. एक स्वतंत्रता सेनानी से प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी.

स्वाधीनता काल में राजनीति में कदम रखने वाले चौधरी चरण सिंह ने अपने जीवनकाल में चौधरी चरण सिंह ने किसानों और गरीबों के लिए भरपूर काम किया. पेशे से वकील चौधरी चरण सिंह सिर्फ उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे जिसमें उनके मुव्वकिल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था

बता दें चौधरी चरण सिंह सन् 1903 में गांधी जी के चलाए सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी शामिल थे. उन्होंने गाजियाबाद के बॉर्डर पर बहने वाली हिंडन नदी में नमक भी बनाया था, जिसके बाद उन्हें अंग्रेजी सरकार ने 6 माह के लिए जेल की सजा सुनाई. जेल से रिहा होने के बाद चरण सिंह महात्मा गांधी की शरण में चले गए और अपने जीवन को स्वतंत्रा संग्राम के लिए समर्पित कर दिया.

इसके बाद चरण सिंह 1940 में फिर गिरफ्तार किए गए, जिसके बाद उन्हें अक्टूबर 1941 में रिहा किए गए. जिसके बाद उन्होंने 1942 में चरण सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध गुप्त क्रांतिकारी संगठन का निर्माण किया और आजादी के लिए लड़ाई के लिए मैदान में उतर गए. 

आजाद भारत के बाद 1951 से चौधरी चरण सिंह का राजनैतिक करियर शुरू हुआ. 1954 में उन्होंने किसानों के हित में उत्तर प्रदेश में भूमि संरक्षण कानून पारित कराया. 1960 में चंद्रभानु गुप्ता की सरकार में उन्हें गृह और कृषि मंत्रालय सौंपा गया. इस दौरान उन्होंने किसानों के लिए काफी काम किए. खासकर उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए, जिसके चलते वह उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.

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