कितनी तेजी से बूढ़े हो रहे हैं आप और कितना ज्यादा हार्ट डिजीज का खतरा

क्या आप जानते हैं कि आपकी आंखें सिर्फ देखने का काम नहीं करतीं, बल्कि आपकी सेहत और उम्र के बारे में भी बहुत कुछ बता सकती हैं? जी हां, हाल ही में हुए एक वैज्ञानिक शोध ने एक बड़ा खुलासा किया है। कैनेडियन वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोजा है जिससे आंखों को स्कैन करके यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को भविष्य में दिल की बीमारी होने का कितना खतरा है, और वह सामान्य से कितनी तेजी से बूढ़ा हो रहा है।

आपने सुना होगा कि “आंखें सब कह देती हैं।” अब विज्ञान भी यही कह रहा है- बस बात भावनाओं की नहीं, बल्कि आपकी उम्र और दिल की सेहत की है।

दरअसल, हाल ही में कनाडा में हुए एक शोध ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आंखों के भीतर मौजूद सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं को देखकर किसी व्यक्ति के हृदय रोग का खतरा और उसकी जैविक उम्र बढ़ने की गति का अनुमान लगाया जा सकता है। यानी अब आपकी आंखें ही यह बता सकती हैं कि आपका दिल कितना स्वस्थ है और आपका शरीर कितनी तेजी से बूढ़ा हो रहा है।

रेटिना की ब्लड वेसल्स से समझें बीमारी का खतरा

शोधकर्ताओं के अनुसार, आंखें शरीर के परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) का एक अनोखा और आसान झरोखा हैं। आंख के पिछले हिस्से में स्थित रेटिना में बहुत सारी पतली-पतली ब्लड वेसल्स होती हैं, जिनसे होकर ब्लड सर्कुलेट होता है।

इन ब्लड वेसल्स की संरचना और शाखाओं का पैटर्न शरीर की अन्य छोटी रक्त वाहिकाओं की स्थिति को दर्शाता है। अगर रेटिना की रक्त नलिकाएं मोटी, सख्त या कम शाखाओं वाली हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि शरीर के भीतर भी ब्लड फ्लो में कोई समस्या है, जो आगे चलकर दिल की बीमारियों, स्ट्रोक या डिमेंशिया तक का कारण बन सकती है।

कैसे हुआ यह शोध?

यह अध्ययन कनाडा के मैकमास्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। इसमें 74,000 से ज्यादा लोगों के रेटिना स्कैन, जेनेटिक डेटा और ब्लड सैंपल का विश्लेषण किया गया।

वैज्ञानिकों ने रेटिना की तस्वीरों को कंप्यूटर एल्गोरिद्म से जांचा और उन्हें व्यक्तियों के आनुवंशिक और जैविक बायोमार्कर से जोड़ा। इसके बाद पाया गया कि जिन लोगों की रेटिना में रक्त वाहिकाओं की शाखाएं कम थीं या उनकी बनावट सरल थी, उनमें:

हार्ट डिजीज का खतरा ज्यादा था

शरीर में सूजन के स्तर ज्यादा पाए गए

और उनकी जैविक उम्र (Biological Age), असली उम्र से ज्यादा दिखी

रेटिना स्कैन बताएगा आपके दिल का हाल

आज हार्ट डिजीज का आकलन करने के लिए अनेक टेस्ट करने पड़ते हैं- जैसे ब्लड टेस्ट, ईसीजी, ईको या एंजियोग्राफी, लेकिन भविष्य में संभव है कि केवल एक साधारण रेटिना स्कैन से ही व्यक्ति की हार्ट हेल्थ और उम्र बढ़ने की गति का अनुमान लगाया जा सके।

रेटिना स्कैन एक गैर-आक्रामक और तेज तकनीक है। इसमें किसी तरह की सुई, खून या दर्द की जरूरत नहीं होती। यह सस्ती भी है और आम लोगों के लिए आसानी से सुलभ हो सकती है।

अगर यह तकनीक बड़े पैमाने पर विकसित हो गई, तो हार्ट डिजीज की शुरुआती पहचान बहुत आसान हो जाएगी। इससे न केवल दिल के मरीजों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि लोग समय रहते अपने लाइफस्टाइल में सुधार भी कर पाएंगे।

उम्र बढ़ने का नया पैमाना

इस अध्ययन ने उम्र को देखने का नजरिया भी बदल दिया है। सामान्य तौर पर हम उम्र को जन्म के वर्षों से गिनते हैं, लेकिन यह शोध बताता है कि जैविक उम्र ज्यादा महत्वपूर्ण है।

रेटिना की रक्त नलिकाओं में हुए बदलाव यह दिखा सकते हैं कि किसी व्यक्ति का शरीर वास्तव में कितनी गति से बूढ़ा हो रहा है। दो समान उम्र के लोग भी, लाइफस्टाइल और हेल्थ के आधार पर, अलग-अलग दर से उम्रदराज हो सकते हैं।

डॉक्टर आई-साइट के साथ बताएंगे हार्ट अटैक का खतरा

शोधकर्ताओं का मानना है कि आने वाले वर्षों में रेटिना स्कैन को एआई से जोड़कर और ज्यादा सटीक परिणाम पाए जा सकते हैं। यह तकनीक डॉक्टरों को न केवल हृदय रोगों का अनुमान लगाने में मदद करेगी, बल्कि उम्र-संबंधी बीमारियों की रोकथाम में भी मददगार होगी।

संभव है कि निकट भविष्य में जब आप आंखों का चेकअप कराने जाएंगे, तो डॉक्टर न सिर्फ आपकी आई-साइट की जांच करें, बल्कि आपके दिल की सेहत और शरीर की उम्र का भी अंदाजा लगा लें।

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