कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने पर देश सर्वोच्च बलिदान देने वाले अपने वीर जवानों को नमन कर रहा है। भारतीय सेना के जवानों ने अदम्य वीरता और रणकौशल का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे कौन-कौन से हथियार थे जिन्होंने पाक सेना को घुटनों के बल ला दिया। जानिए यहां:
बोफोर्स तोप
स्वीडन की इस तोप ने कारगिल युद्ध के दौरान अपने दम पर पूरे युद्ध का रूख ही बदल दिया। ऊंचाई पर बंकरों में छिपकर बैठे दुश्मनों को मार गिराने में इस तोप की फायर पावर ने बहुत मदद की। इसका बैरल 70 डिग्री तक घूम सकता है और 42 किलोमीटर तक मार कर सकता है। यह तोप 14 सेकेंड में तीन राउंड फायर कर सकती है।
पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर
पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों की इंफैन्ट्री (पैदल सेना) को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था। ट्रकों पर लगे इस सिस्टम को डीआरडीओ ने बनाया है। इस सिस्टम की एक यूनिट में 12 रॉकेट होते हैं जो 44 सेकेंड में फायर होते हैं। इसके मार्क-1 और मार्क-2 का रेंज 40 किलोमीटर है जबकि मार्क-3 की रेंज 65 किलोमीटर है।
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इंसास राइफल
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने दुश्मनों को मौत की नींद सुलाने के लिए इंसास राइफल का प्रयोग किया था। हालांकि युद्ध के दौरान इस राइफल के जाम हो जाने, मैगजीन के टूट जाने व रेंज कम होने की शिकायतें भी मिलती रहीं। इंसास का पूरा नाम Indian New Small Arms System है। इस भारतीय राइफल को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ने बनाया है। हाल में ही भारतीय सेना ने एके-203 राइफल का ऑर्डर दिया है जो इंसास की जगह लेगा।
एके-47 राइफल
भारतीय सेना के क्लोज कॉम्बेट के लिए एके सीरीज के एके-47 राइफल का प्रयोग किया था। इस राइफल को भारतीय सेना बहुत समय से प्रयोग कर रही है। कारगिल युद्ध में ऊंचाई वाले इलाकों में भी इस राइफल ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। यह एक मिनट में 600 राउंड फायरिंग कर सकती है।
एसएएफ कार्बाइन 2ए1
यह बंदूक सब मशीन गन 1ए1 का साइलेंस वर्जन है। जिसमें बैरल में साइलेंसर फिट किया साथ लगाया गया है। यह कानपुर में आयुध निर्माणी द्वारा बनाया गया है। यह एक हल्के वजन का हथियार है और स्वचालित फायरिंग में सक्षम है। यह 150 राउंड प्रति मिनट की दर से फायरिंग कर सकता है।
ड्रेगुनोव स्नाइपर राइफल
सोवियत रूस में बनी इस स्नाइपर राइफल का प्रयोग शीत युद्ध के दौरान किया जाता था। इस राइफल में 7.62×54 मिलीमीटर का कॉर्टरेज प्रयोग किया जाता है। इसमें 10 राउंड की मैगजीन बॉक्स का प्रयोग किया जाता है। इस राइफल की प्रभावी रेंज 800 से 900 मीटर तक मानी जाती है।
कॉर्ल गुस्ताव रॉकेट लॉन्चर
भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान स्वीडन की कॉर्ल गुस्ताव रॉकेट लॉन्चर के जरिए दुश्मनों के कई बंकरों को तबाह किया था। इस रॉकेट लॉन्चर को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने स्वीडन से ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत किया है।
एनएसवी हैवी मशीन गन
सोवियत निर्मित इस मशीन गन का निर्माण आयुध कारखानों बोर्ड के आयुध निर्माणी तिरुचिरापल्ली में किया गया है।
पिस्टल
भारतीय सेना सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल ऑटो 9 एमएम 1ए का प्रयोग करती है। इसके अलावा सीआरपीएफ, राज्य पुलिस भी इस हथियार का इस्तेमाल करती है। इसमें सामान्यत: 13 राउंड की मैगजीन प्रयोग की जाती है। इसका उत्पादन लाइसेंस के तहत राइफल फैक्ट्री इसापोर में किया जाता है।