कांग्रेस के नेतृत्व में टुकड़े-टुकड़े गैंग को अब सबक देने का समय आ गया है: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर नागरिकता कानून पर हुए विरोध प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस को निशाने पर लिया और कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर बहस के दौरान कांग्रेस इधर-उधर की बातें कर रही थी, लेकिन जैसे ही बाहर निकली इसने लोगों में भ्रम फैलाना शुरू किया।
दिल्ली के कड़कड़डूमा में डीडीए ईस्ट दिल्ली हब का उद्घाटन करने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर संसद के अंदर चर्चा हुई। इस दौरान कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं था, इधर-उधर की बातें करते थे। उन्होंने कहा कि बाहर निकलते ही इन लोगों ने भ्रम फैलाना शुरू किया और दिल्ली को अशांत किया।
Home Minister Amit Shah: Congress party ke netritva me tukde-tukde gang jo Dilli ke ashanti ke liye zimmedar hai, isko dand dene ka samay aa gya hai. Dilli ki janata ne dand dena chahiye. (2/2) https://t.co/fIw1D1dixB
— ANI (@ANI) December 26, 2019
शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में टुकड़े-टुकड़े गैंग जो दिल्ली की अशांति के लिए जिम्मेदार हैं, इसको दंड देने का समय आ गया है। दिल्ली की जनता को इन लोगों को दंड देना चाहिए।
यह भी पढ़ें: हिंसा में नुकसान हुए संपत्ति की भरपाई की प्रक्रिया शुरू, ऐसे वसूल रही योगी सरकार
गृह मंत्री ने कांग्रेस के साथ-साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी कई आरोप लगाए। शाह ने कहा कि दिल्ली में एक ऐसी सरकार है, जो दूसरे के किए कामों पर अपना ठप्पा लगा देती है।
गृह मंत्री ने कहा कि कल एक ऐड देखा जिसमें दिल्ली के सीएम कह रहे हैं कि हर घर को जल मिलेगा, लेकिन केजरीवाल साहब ये भूल गए है कि यह सपना प्रधानमंत्री जी ने 15 अगस्त को दिखाया था।
शाह ने कहा कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल नई-नई चीजें करते रहते हैं। उन्होंने एक नई शुरुआत की है, सोचना भी क्यों? बजट भी क्यों देना? भूमि पूजन भी क्यों करना? उद्घाटन भी क्यों करना? किसी का करा कराया है बस उसपर अपने नाम का ठप्पा लगा देना।
गृह मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी ने जो दिल्ली के विकास का नक्शा खींचा है, उसके अनुसार समयबद्ध तरीके से उन सभी कामों को पूरा करने की प्लानिंग भी की गई है। उन्होंने विकास के काम करने की नई संस्कृति देश की जनता के सामने प्रधानमंत्री जी ने रखी है।
शाह ने कहा कि इससे पहले कांग्रेस की सरकार इस बात के लिए मशहूर थी कि पांच साल एक सरकार कोई योजना बनाती थी, दूसरे पांच साल में दूसरी सरकार उसके लिए बजट मंजूर करती थी, तीसरे पांच साल में उसका भूमि पूजन करती थी, और अगले पांच साल में कांग्रेस सरकार उसे भूल जाती थी। काम तो होता ही नहीं था।