आतंक को CM फारूक ने बताया अपने हक की लड़ाई

जम्मू-कश्मीर के पू्र्व CM फारूक अब्दुल्ला ने आतंकवाद की तरफ बढ़ रहे युवाओं को लेकर कहा कि वे यह लड़ाई विधायक, सांसद और मंत्री बनने के लिए नहीं कर रहे, बल्कि वे अपने अधिकार और अपनी जमीन के लिए कर रहे हैं।
आतंक को CM फारूक ने बताया अपने हक की लड़ाई
उन्होंने शुक्रवार को कहा, ‘हमारे लड़के बलिदान दे रहे हैं, वे विधायक, सांसद या फिर मंत्री बनने के लिए यह नहीं कर रहे, बल्कि अपनी मांग को लेकर बलिदान कर रहे हैं- यह हमारी जमीन है और हम इसके मालिक हैं।’

युवाओं के आतंकवाद से जुड़ने के विषय में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमें उनकी संवेदना को ध्यान में रखना होगा। उनके हथियार उठाने की क्या वजह है। युवाओं को हथियार उठाने के लिए कौन सी बात बाध्य कर रही है, उसकी जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच आयोग गठित किया जाना चाहिए।’

आतंकवाद के खिलाफ अभियान में हस्तक्षेप करने को लेकर युवाओं को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत द्वारा दी गई चेतावनी पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘यह सही नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि यदि आपको समस्या का समाधान करना है तो हल बंदूक में नहीं बल्कि बातचीत में है।’

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नैशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने जम्मू कश्मीर में शांति बहाली के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता बहाल करने का भी आह्वान किया और कहा कि गोली के बदले गोली की नीति से बस राज्य में स्थिति खराब ही होगी। अब्दुल्ला ने यहां कहा, ‘यदि आप कश्मीर में स्थिति सुधारना चाहते हैं तो उसका बस एक रास्ता वार्ता शुरू करना है। बुलेट के जवाब में बुलेट की बात करने से स्थिति खराब ही होगी।’

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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘बुलेट का जवाब बुलेट नहीं हो सकता। बुलेट का जवाब धैर्य, प्रेम और संवाद द्वारा दिया जा सकता है। हम उससे दूर रहना चाहिए और हम आशा करते हैं कि भारत और पाकिस्तान बातचीत के टेबल पर आएंगे और वार्ता का नया चरण शुरू होगा ताकि कश्मीर की इस समस्या का समाधान हो सके।’

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उन्होंने कहा, ‘मौत और विनाश पर विराम लगना चाहिए ताकि कश्मीर के लोग शांति से जी सकें। पर्यटन का मौसम शुरू होने वाला है यदि मौत और विध्वंस का तांडव जारी रहता है तो यहां कौन आएगा। उसका भुक्तभोगी कौन बनने जा रहा है। ये गरीब लोग ही हैं जो पर्यटन पर निर्भर करते हैं।’

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