कर्जमाफी के लिए अभियान चलाएगी शिवसेना, विदर्भ में समर्थन जुटाने की कवायद

मुंबई.राज्य व केंद्र की सत्ता में भागीदार शिवसेना अब किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर व्यापक जनसमर्थन जुटाने की कोशिश में जुट गई है। इसके लिए किसानों के बीच ‘मैं कर्ज मुक्त बनूंगा’ अभियान चलाया जाएगा। पार्टी मराठवाड़ा के बाद अब विदर्भ में 14 व 15 मई को शिवसंपर्क अभियान के तहत किसानों से संपर्क करेगी। 19 मई को नाशिक में किसान सम्मेलन होगा। सम्मेलन को शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे संबोधित करेंगे।
कर्जमाफी के लिए अभियान चलाएगी शिवसेना, विदर्भ में समर्थन जुटाने की कवायद
 
उद्धव की मौजूदगी में शुक्रवार को मराठवाड़ा के सूखागस्त इलाकों में चलाए जा रहे शिवसंपर्क अभियान की समीक्षा बैठक हुई। उद्धव ने पार्टी पदाधिकारियों को किसानों के घर-घर जाकर उनके कर्जमाफी के बारे में ब्यौरा जुटाने का आदेश दिया।

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उन्होंने कहा कि पार्टी कर्जमुक्ति की मांग को लेकर किसानों के साथ आखिर तक खड़ी रहेगी। हम सरकार से कर्जमाफी करवा कर रहेंगे।
 
हालांकि शिवसेना सांसद संजय राऊत ने बैठक को अत्यंत गोपनीय करार दिया। उन्होंने संवाद व संपर्क के बारे में कहा कि हमें राजनीतिक संवाद की जरूरत नहीं पड़ती। राज्य की जनता से हम लोगों का संवाद 365 दिन रहता है।
 
एक ही दिन में 16 हजार गांवों में इतनी ही सभाएं करेगी पार्टी
 
विपक्ष की संघर्ष यात्रा के बाद अब भाजपा भी किसानों से संवाद साधेगी। पार्टी की संवाद सभा 25 से 28 मई के बीच होगी। इसको सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई है। पार्टी 25 मई को 16 हजार गांवों में 16 हजार सभाएं आयोजित करेगी। संवाद सभा में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश अध्यक्ष राव साहब दानवे के अलावा पार्टी के सांसद-विधायक शामिल होंगे। संवाद सभा के पहले दिन मुख्यमंत्री लातूर के गांव में किसानों से संवाद साधेंगे। जबकि नंदूबार में रावसाहब दानवे, चंद्रपुर में वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार, बीड़ में ग्रामीण विकास मंत्री पंकजा मुंडे और कोंकण में शिक्षामंत्री विनोद तावड़े किसानों से संवाद करेंगे।
 
दानवे के बयान से पार्टी नाराज
 
प्रदेश अध्यक्ष दानवे द्वारा किसानों के खिलाफ अपशब्द का प्रयोग करने से पार्टी बैकफुट पर दिखाई दे रही है। उनके बयान से पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व नाराज है। इस बीच दानवे की छुट्टी किए जाने की भी चर्चा शुरू हो गई है। पार्टी नेताओं को डर है कि दानवे के बयान का असर संवाद सभाओं पर पड़ सकता है। किसानों के बीच पार्टी नेताओं को जवाब देना मुश्किल होगा।
फिलहाल दानवे के बयान पर फडणवीस सहित सभी नेताओं ने चुप्पी साध ली है।
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