कमर दर्द भगाने के लिए महिला ने निगल डाले 8 जिंदा मेंढक

दरअसल महिला को किसी ने यह कह दिया था कि अगर जिंदा मेंढक खा लिए जाएं, तो पीठ का दर्द कम हो सकता है। इस सलाह को सच मानते हुए उन्होंने अपने परिवार से मेंढक पकड़कर लाने को कहा। बेटा और घरवाले शायद यह सोच भी नहीं पाए कि इसका अंजाम इतना खतरनाक होगा।

चीन से एक अजीब और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां 82 साल की एक बुजुर्ग महिला ने अपने पीठ दर्द को दूर करने के लिए ऐसा तरीका अपनाया, जिसे सुनकर लोग हैरानी में पड़ गए। महिला को लंबे समय से हर्नियेटेड डिस्क की समस्या थी और पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द रहता था। पारंपरिक इलाज से राहत नहीं मिलने पर उन्होंने लोककथा पर भरोसा किया और आठ जिंदा मेंढक निगल डाले। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई यह घटना
दरअसल महिला को किसी ने यह कह दिया था कि अगर जिंदा मेंढक खा लिए जाएं, तो पीठ का दर्द कम हो सकता है। इस सलाह को सच मानते हुए उन्होंने अपने परिवार से मेंढक पकड़कर लाने को कहा। बेटा और घरवाले शायद यह सोच भी नहीं पाए कि इसका अंजाम इतना खतरनाक होगा। जब महिला ने मेंढक खाए तो शुरुआत में सब कुछ नॉर्मल लगा। लेकिन कुछ ही समय बाद उनके पेट में तेज दर्द शुरू हो गया। हालत इतनी बिगड़ गई कि चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

मेंढक निगलने के बाद अस्पताल पहुंची महिला
अस्पताल पहुंचने पर महिला के बेटे ने डॉक्टरों को पूरा मामला बताया। उसने कहा, “मेरी मां ने आठ जिंदा मेंढक निगल लिए थे, अब उन्हें इतना तेज दर्द है कि वह चल भी नहीं पा रही हैं।” यह सुनकर डॉक्टर भी दंग रह गए। जांच के दौरान पता चला कि मेंढक खाने से महिला के पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा है। इतना ही नहीं जिंदा मेंढक के साथ स्पार्गनम नाम का परजीवी उनके शरीर में घुस गया। इस परजीवी की वजह से उनकी सेहत और बिगड़ गई। डॉक्टरों ने बताया कि महिला की आंतों में इंफेक्शन फैल गया था। यह स्थिति अक्सर खून से जुड़ी बीमारियों का संकेत देती है।

डॉक्टर ने तुरंत किया इलाज
डॉक्टरों ने तुरंत उनका इलाज शुरू किया। कई तरह के टेस्ट किए गए ताकि पता चल सके कि शरीर में कितना नुकसान हुआ है। इस तरह का इलाज खतरनाक है और किसी भी वैज्ञानिक शोध में इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि जिंदा मेंढक खाने से किसी का दर्द कम हो सकता है। यह केवल लोककथा पर आधारित विश्वास था, जिसका नतीजा गंभीर बीमारी बन गया। करीब दो हफ्तों तक डॉक्टरों ने महिला का इलाज किया। धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार हुआ और आखिरकार उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

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