कमजोर मांग के कारण मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई सितंबर में अपरिवर्तित

घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोर मांग के कारण सितंबर में देश में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला। आइएचएस मार्किट की ताजा सर्वेक्षण के अनुसार सितबंर में इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक 51.4 पर बना रहा। अगस्त का पीएमआई भी इतना ही था।

इस तरह मई, 2018 के बाद मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का पीएमआइ अपने न्यूनतम स्तर पर बना हुआ है। यह लगातार 26वां महीना है, जब मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 50 अंक से ऊपर है। पीएमआई सूचकांक में 50 से ऊपर का आंकड़ा विस्तार जबकि इससे नीचे का नंबर संकुचन को दिखाता है।

आईएचएस मार्किट की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट पॉलियाना डि लीमा ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नरमी का रुख देखने को मिल रहा है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि कारोबारी विश्वास पिछले ढाई साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।

कुछ कंपनियों को आने वाले समय में मांग और निवेश में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। वहीं, कुछ कंपनियां कठिन परिस्थितियों में प्रतिस्पर्धा के दबाव को लेकर चिंतित हैं।

लीमा ने कहा कि सितंबर के भविष्योन्मुखी संकेतकों को देखते हुए कंपनियां अपने आप को मुश्किल परिस्थितियों के लिए तैयार कर रही हैं।

लीमा ने कहा, ”आर्थिक वृद्धि से जुड़े कमजोर आंकड़ों और मुद्रास्फीति से जुड़े दबाव में कमी से इस बात की उम्मीद है कि आने वाले महीनों में और मौद्रिक दरों में और कटौती की जाएगी।”

आरबीआई चार अक्टूबर को अपनी अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति को घोषणा करेगा। देश के वर्तमान इकोनॉमिक आउटलुक को देखते हुए इस बात की उम्मीद है कि ब्याज दरों में कटौती की जाएगी। केंद्रीय बैंक इससे पहले चार मौकों पर नीतिगत दरों में कटौती कर चुका है।

वैश्विक स्तर पर कमजोर आर्थिक परिदृश्य के बीच मांग एवं निजी निवेश में कमी के कारण जून में समाप्त तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि दर घटकर पांच फीसद पर आ गई। यह आंकड़ा पिछले छह साल में सबसे कम आर्थिक वृद्धि की गति को दिखाता है।

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