कब मनाई जाएगी कन्या संक्रांति? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

ज्योतिषियों की मानें तो आत्मा के कारक सूर्य देव एक राशि में 30 दिन तक रहने के बाद राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन की तिथि पर संक्रांति (Kanya Sankranti 2025) मनाई जाती है। सूर्य देव के कन्या राशि में गोचर करने पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस दिन विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है।

सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का खास महत्व है। यह दिन बेहद पावन होता है। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान करने का विधान है। असुविधा होने पर साधक गंगाजल युक्त (गंगाजल मिले पानी) पानी से स्नान-ध्यान कर सकते हैं। इसके बाद विधिवत सूर्य देव की पूजा एवं साधना की जाती है। साथ ही जरूरतमंदों को दान किया जाता है।

धार्मिक मत है कि संक्रांति तिथि के दिन आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा (Kanya Sankranti 2025) करने से साधक को मनोवांछित फल मिलता है। साथ ही करियर और कारोबार से जुड़े लोगों को जीवन में विशेष बदलाव देखने को मिलता है। आइए, कन्या संक्रांति तिथि की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं।

सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2025)
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, आत्मा के कारक सूर्य देव 17 सितंबर को देर रात 01 बजकर 54 मिनट पर सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव एक महीने तक रहेंगे। इसके बाद राशि परिवर्तन कर तुला में गोचर करेंगे। इससे पहले 27 सितंबर को हस्त नक्षत्र और 10 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र में गोचर करेंगे। वहीं, 17 अक्टूबर को सूर्य देव तुला राशि में गोचर करेंगे।

कन्या संक्रांति शुभ मुहूर्त (Kanya Sankranti Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार कन्या संक्रांति तिथि पर पुण्य काल सुबह 05 बजकर 36 मिनट से लेकर दिन में 11 बजकर 44 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 36 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट तक है। साधक पुण्य काल के दौरान स्नान-ध्यान कर दान-पुण्य कर सकते हैं। वहीं, महा पुण्य काल के समय में भी दान-पुण्य कर सकते हैं। कन्या संक्रांति के दिन महा पुण्य काल 02 घंटे 03 मिनट का है।

कन्या संक्रांति शुभ योग ( Kanya Sankranti Shubh Yog)
कन्या संक्रांति पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस दिन देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके साथ ही पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में स्नान-दान करने से दोगुना फल मिलेगा।

पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 36 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 51 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 49 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से 02 बजकर 35 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 51 मिनट से 06 बजकर 15 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 11 बजकर 20 मिनट से 12 बजकर 07 मिनट तक

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