कन्या पूजन ही नहीं, हर दिन करें नारी का सम्मान

इस नवरात्रि पर कन्या पूजन के साथ ही नारी सम्मान को अपने आचरण का हिस्सा बनाकर न केवल अपने व्रत को बल्कि अपने जीवन को सकारात्मक और सफल बनाएं।
हिंदू धर्म में कन्या को देवी का स्वरूप माना गया है। नवरात्रि के अंतिम दिनों में कन्या पूजन की परंपरा हर घर में पूरे श्रद्धाभाव से निभाई जाती है। नौ छोटी-छोटी बच्चियों को देवी के नौ रूप मानकर उनके चरण धोए जाते हैं, उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं। यह परंपरा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज को एक गहरा संदेश देती है कि हर स्त्री सम्मान की पात्र है। देवी की उपासना सिर्फ मंदिर में या कन्या पूजन तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं को समानता और गरिमा देना ही सच्ची पूजा है। अक्सर हम छोटी बच्चियों को तो देवी का रूप मानकर पूजते हैं पर बड़ी होती स्त्रियों को वही आदर नहीं देते। नवरात्रि का यह पर्व हमें स्मरण कराता है कि नारी के बिना जीवन अधूरा है और उसका सम्मान करना हम सबका धर्म है।
इस नवरात्रि पर कन्या पूजन के साथ ही नारी सम्मान को अपने आचरण का हिस्सा बनाकर न केवल अपने व्रत को बल्कि अपने जीवन को सकारात्मक और सफल बनाएं।
कैसे करें नारी सम्मान?
समान अवसर दें
सिर्फ महिला को आप बोलकर या मृदु भाषी होकर उनका सम्मान नहीं होता, बल्कि नारी के सम्मान के लिए उन्हें समान अवसर देने चाहिए। शिक्षा, करियर और जीवन के फैसलों में महिलाओं को बराबर का हक मिलना चाहिए। तभी जाकर महिलाओं को असल सम्मान मिलेगा।
सुनना और समझना
अक्सर लोग कन्याओं को देवी रूप में पूजते तो हैं लेकिन उसी परिवार की मां, पत्नी या बहन की राय और भावनाओं का आदर नहीं करते। महिलाओं का सम्मान करना चाहते हैं तो उनकी बात को सुनना और समझना शुरू करें।
सुरक्षित माहौल
नारी का सम्मान तभी संभव है तो उन्हें समाज में एक सुरक्षित माहौल मिले। कार्यस्थल हो या घर दोनों जगह पर महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। हालांकि सुरक्षा के लिए स्वतंत्रता बाधित न की जाए। एक सुरक्षित वातावरण में महिला ससम्मान रह सकती है।
आभार व्यक्त करें
घर की जिम्मेदारियों से लेकर पेशेवर कामों तक, महिलाओं की मेहनत की सराहना करना जरूरी है। उन्हें उनकी वैल्यू महसूस कराएं। उनके प्रयासों के लिए आभार व्यक्त करें। ये महिला के लिए किसी सम्मान से कम नहीं होगा।





