कजरी तीज व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं? यहां जानिए व्रत के नियम और लाभ

कजरी तीज का त्योहार हर साल भाव के साथ रखा जाता है। यह भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल यह 12 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। आइए इस व्रत के नियम और लाभ (Benefits Of The Kajari Teej Vrat) को विस्तार से जानते हैं।

कजरी तीज व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। इस दिन कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस व्रत को बड़ी तीज या सत्तू तीज के नाम से भी जाना जाता है।

हिंदू पंचांग को देखते हुए इस साल कजरी तीज का व्रत (Kajari Teej 2025) 12 अगस्त, 2025 को रखा जाएगा, तो आइए इस व्रत से जुड़े प्रमुख नियम जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

कजरी तीज व्रत के नियम (Kajari Teej Puja Rules)
कजरी तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है। यह व्रत बिना पानी पिए 24 घंटे का होता है। व्रत शुरू होने से पहले सूर्योदय से पहले सरगी खानी चाहिए। सरगी में फल, मिठाई, सूखे मेवे और दूध शामिल करें। शाम के समय माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। पूजा में दीपक, धूप, फल, फूल और मिठाई अर्पित करें। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलें। अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का भोजन ग्रहण करें। व्रत के दौरान दिन में भोजन और पानी नहीं लिया जाता है।

व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं (Kajari Teej 2025 Vrat Rules)
क्या खाएं (What to Eat During Fast)
व्रत खोलने के बाद हल्का भोजन करना चाहिए।
सेब, केला, अनार, पपीता जैसे फल खा सकते हैं।
दही या छाछ पी सकते हैं।
बेसन या मेवे की बनी मिठाई खा सकते हैं।
सत्तू का सेवन शुभ माना जाता है। ऐसे में इसे पानी में घोलकर पी सकते हैं।

क्या नहीं खाएं (What Not To Eat Fast)
व्रत खोलने के बाद तले हुए भोजन से बचें।
इस दिन मांसाहार, प्याज और लहसुन का सेवन बिल्कुल न करें।
मसालेदार भोजन से परहेज करें।

कजरी तीज के लाभ (Benefits Of The Kajari Teej Vrat)
कजरी तीज का व्रत पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है।
इस व्रत को रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा मिलती है।
इसके अलावा इस व्रत को रखने से परिवार में प्यार और एकता बढ़ती है।

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