ओबामा स्टाइल में आम आदमी पार्टी, बीजेपी से किया सबसे तगड़ा सवाल
नई दिल्ली। साल 2015 की सर्दियों में आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनावों में दो समस्याओं का सामना करना पड़ा। बीजेपी 2014 की मोदी लहर को भुनाकर दिल्ली में 14 साल से ज्यादा के लंबे वनवास के बाद वापसी करना चाह रही थी। वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की ‘आम आदमी’ की छवि को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर थी।
2015 के चुनाव में एक मोड़ तब आया जब बीजेपी ने किरण बेदी को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया और केजरीवाल ने चुनावों को प्रेसिडेंशियल स्टाइल चुनाव बना दिया। ‘आप’ की टीम ने सोशल मीडिया का अधिकतम उपयोग किया और लोगों को बताया कि दिल्ली के चुनाव से एक मुख्यमंत्री बनाने के लिए है न कि देश के प्रधानमंत्री के लिए। पार्टी ने इस संदेश को एक धारणा के साथ प्रवर्तित किया कि अगर चुनाव केजरीवाल बनाम किरण बेदी बनता है तो ‘आप’ को फायदा होगा।
With love to @BJP4Delhi pic.twitter.com/1pAVGvWtcu
— AAP (@AamAadmiParty) January 7, 2020
वहीं, साल 2020 में चुनाव आयोग की ओर से दिल्ली के लिए विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने के एक दिन बाद ‘आप’ ने फिर से बीजेपी को अपने सीएम उम्मीदवार का नाम देने की चुनौती दी।
आम आदमी पार्टी का ट्वीट 2012 में बराक ओबामा के कैंपेन से प्रेरित लगता है। 2014 में प्रकाशित एक शोध पत्र में राजनीतिक वैज्ञानिक डेनियल क्रेइस ने बताया कि रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन के दौरान राष्ट्रपति ओबामा ने 11 मिनट एक खाली कुर्सी के साथ बातचीत की।
संचार वैज्ञानिक ऐसे ऑनलाइन राजनैतिक हस्तक्षेपों को सोशल मीडिया की ‘प्रदर्शनकारी शक्ति’ के रूप में वर्गीकृत करते हैं। क्रेइस ने भी ‘प्रदर्शनकारी शक्ति’ का वर्णन किया है। इस स्थिति में ‘एक्टर A’, ‘एक्टर B’ को कुछ करने के लिए बाध्य करता है।
This seat's taken. http://t.co/tvHZDcfw, pic.twitter.com/jgGZTb02
— Barack Obama (@BarackObama) August 31, 2012
5 साल सत्ता में रहने के बाद अरविंद केजरीवाल बाहरी होने का दावा नहीं कर सकते। उन्हें एक और टर्म के लिए नई धारणा (नैरेटिव) की जरूरत है। केजरीवाल समझते हैं कि बीजेपी की सबसे बड़ी कमी दिल्ली यूनिट में नेतृत्व शून्यता है।
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पूर्वांचली समुदाय तक पैठ के लिए बीजेपी ने मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था। लेकिन पार्टी में सीएम के संभावित चेहरे के रूप में विजय गोयल और डॉ। हर्षवर्धन जैसे पुराने वैचारिक नाम भी हैं। इसलिए दिल्ली में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लड़ने का फैसला किया है।
एक दारोगा के साथ लारा दत्ता की तस्वीर ट्वीट कर आम आदमी पार्टी ने फिर से अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी बीजेपी को अपने सीएम उम्मीदवार का नाम देने की चुनौती दी है। बीजेपी ने 2015 के चुनावों से ठीक पहले किरण बेदी को सीएम पद का चेहरा घोषित किया था। क्या यह 2020 में फिर से वही होने जा रहा है?