ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार एक मंच पर नजर आए भारत-पाकिस्तान

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के आधिकारिक रिसेप्शन में ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बाद भारत और पाकिस्तान के पीएम एक मंच पर नजर आए। हालांकि पीएम मोदी ने शहबाज से दूरी बनाए रखी।

पीएम नरेंद्र मोदी का रविवार शाम शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के आधिकारिक रिसेप्शन में शानदार स्वागत किया गया। मेजबान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पत्नी पेंग लियुआन ने हाथ मिलाकर उनका अभिवादन किया। एससीओ नेताओं का औपचारिक ग्रुप फोटो भी हुआ। इस दौरान, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बाद भारत और पाकिस्तान के पीएम एक मंच पर नजर आए। हालांकि पीएम मोदी ने शहबाज से दूरी बनाए रखी।

कई देशों के नेताओं से पीएम मोदी ने की मुलाकात
पीएम मोदी ने म्यांमार, मालदीव, नेपाल समेत तमाम प्रमुख नेताओं से मुलाकात की। मैत्रीपूर्ण, व्यापारिक और सांस्कृतिक रिश्तों पर बातचीत हुई। पीएम मोदी ने नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से भी बातचीत की। दोनों देशों के बीच विकासात्मक साझेदारी का उल्लेख किया।

भारत-म्यांमार के बीच बिगड़े रिश्तों के पटरी पर लौटने के बीच इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। उन्होंने मिस्र के पीएम मुस्तफा मदबौली से मुलाकात के दौरान कुछ साल पहले की अपनी मिस्र यात्रा को याद करते हुए कहा, हमारी दोस्ती नई ऊंचाइयों को छू रही है। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको से मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने आने वाले समय में लाभकारी अवसरों को लेकर उम्मीदें जताईं।

पड़ोस प्रथम की नीति भारत के लिए बेहद अहम
पीएम मोदी ने म्यांमार के कार्यवाहक राष्ट्रपति और सैन्य प्रमुख, वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। पीएम ने कहा कि भारत अपनी पड़ोस प्रथम, एक्ट ईस्ट और हिंद-प्रशांत नीतियों के तहत म्यांमार के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और विकास साझेदारी, रक्षा एवं सुरक्षा, सीमा प्रबंधन और सीमा व्यापार सहित द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर भावी परिदृश्य पर चर्चा की। पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की प्रगति दोनों देशों के लोगों के बीच बेहतर संपर्क को प्रेरित करेगी, साथ ही भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण को भी बढ़ावा देगी।

रेड फ्लैग कार का इस्तेमाल कर रहे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान आने-जाने के लिए रेड फ्लैग कार का इस्तेमाल करेंगे। वह सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इसी कार से पहुंचे। रेड फ्लैग के नाम से चर्चित इस कार को चीन की सरकारी कंपनी फर्स्ट ऑटोमोटिव वर्क्स बनाती है। इसे चीन की रॉल्स रॉयस भी कहा जाता है।

जिनपिंग की खास कार होंगची में सफर कर रहे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी पसंदीदा कार होंगची-5 मुहैया कराई है। जिनपिंग अपनी यात्राओं के दौरान इसी कार का इस्तेमाल करते हैं। जिनपिंग 2019 में जब भारत दौरे पर आए थे, तब उन्होंने इसी कार का इस्तेमाल किया था।

भारत के पास ट्रंप की धौंस से निपटने का रास्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक को बीजिंग के भू-राजनीतिक विशेषज्ञ ने अमेरिका के लिए कड़ा संदेश बताया है। ताइहे इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो आइनार टैंगन ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारी-भरकम टैरिफ लगाकर भारत को मजबूर करना चाहते थे, पर नई दिल्ली-बीजिंग की बढ़ती नजदीकी ने साबित कर दिया कि भारत के पास उनकी धौंस से निपटने का रास्ता है। टैंगन ने कहा, ट्रंप भारत को नीचा दिखाना चाहते थे, लेकिन बाजारों और श्रम के लिए भारत जैसे अहम देश को कमतर आंकना उचित नहीं है।
चीनी विशेषज्ञ ने कहा कि मेदी-जिनपिंग ने रिश्तों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की। पर, यह बैठक सिर्फ भारत-चीन के बारे में नहीं थी। बल्कि तमाम देशों की चिंताओं से जुड़ी है। यह भारत के प्रति अमेरिका के मनमाने रवैये के खिलाफ कड़ा संदेश है। भारत एससीओ और ब्रिक्स दोनों में एक संतुलनकारी शक्ति की भूमिका निभाता रहा है।

भारत के खेल बिगाड़ने से चिंतित है अमेरिका
चीनी विशेषज्ञ ने कहा, अमेरिका नहीं चाहता कि भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व करे क्योंकि इससे पूरी दुनिया को अपना उपनिवेश समझकर धौंस चलाने का उसका खेल खत्म हो जाएगा। अमेरिका की मनमानी नहीं चलेगी। अमेरिका औपनिवेशिक खेल में उलझाकर चीन, रूस और अन्य देशों सहित एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा नहीं कर पाएंगे। टैंगन ने कहा कि मोदी की नेतृत्व क्षमता भी बड़ी वजह है, जिसने अमेरिका की नींद उड़ा रखी है। यह मोदी के लिए मजबूती से खड़े होने और नेतृत्व की बागडोर संभालने का अवसर है। इसी बात से अमेरिका परेशान है।

चीन अपने हिसाब से रखना चाहता है दोस्ताना रिश्ते
पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात पर रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सिंह ने कहा, पीएम मोदी बहुत कमजोर स्थिति में चीन गए हैं, क्योंकि ट्रंप ने उन्हें निशाना बनाया है। उनके पास कोई दबाव बनाने की ताकत नहीं है। चीन अपने हिसाब से भारत से दोस्ताना रिश्ते चाहता है। उसने भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी), व्यापार, तिब्बत, दुर्लभ खनिज संपदा पर कोई रियायत नहीं दी है। पाकिस्तान पर भी कोई वादा करने को तैयार नहीं है, चाहे वह सैन्य सहयोग हो या कोई और क्षेत्र। आखिर में चीन अमेरिका का विकल्प नहीं हो सकता है और यह तीनों पक्ष जानते हैं।

सतर्क रहना जरूरी
सामरिक मामलों के विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ने लिखा, चीन भारतीय कमजोरी का फायदा उठाने की ज्यादा कोशिश करेगा, बजाय कि भरोसेमंद साथी बने। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान को मदद दी। चीन अब दुनिया का सबसे बड़ा बांध भारत की सीमा के पास बनाने जा रहा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।

चीन के साथ शक्ति का संतुलन नहीं
अंग्रेजी अखबार द हिन्दू के अंतरराष्ट्रीय संपादक स्टैनली जॉनी ने लिखा, मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव वाले तरीकों के आगे झुकने वाले नहीं हैं। रिश्तों को दोबारा मजबूत करने की संभावना है, लेकिन यह सिर्फ ट्रंप की शर्तों पर नहीं होगा। भारत अच्छी तरह जानता है कि चीन के साथ शक्ति का संतुलन नहीं है। भारत को अपनी रणनीतिक कमियों को भरने के लिए अमेरिका की जरूरत है। अगर अमेरिका दुश्मन जैसा व्यवहार करता रहा तो भारत के पास और विकल्प भी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button