एनडीएमसी के स्कूलों में शिक्षा के साथ खेल में तराशे जाएंगे विद्यार्थी

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने अपने स्कूली बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेलों में भी बेहतर अवसर देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। परिषद ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत पेशेवर खेल कोचिंग शुरू करने का निर्णय लिया है।

इसके तहत बच्चों को खेल की बारीकियों को जानने के लिए विशेष कोच नियुक्त किए जाएंगे। इस पहल का मकसद है कि एनडीएमसी और नवयुग स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र केवल अकादमिक पढ़ाई में ही नहीं बल्कि खेलों में भी निखरे और भविष्य में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। एनडीएमसी के स्कूल परिसरों और खेल मैदानों में कोचिंग दी जाएगी। कोचिंग देने वाली अकादमियों को एनडीएमसी और नवयुग स्कूलों के छात्रों को एक-तिहाई सीटें रियायती दरों पर देनी होगी, जबकि शेष सीटें शुल्क आधारित प्रवेश के लिए होंगी। फीस ऑनलाइन जमा होगी और त्रैमासिक भुगतान की सुविधा होगी।

इस मॉडल की एक बड़ी विशेषता यह भी है कि एनडीएमसी पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं आएगा। इससे मौजूदा व्यवस्था में होने वाले 45 लाख रुपये सालाना खर्च की बचत होगी और अतिरिक्त राजस्व भी प्राप्त होगा। प्रस्ताव के अनुसार, 30 दिनों के भीतर निविदा प्रक्रिया शुरू की जाएगी, 60 दिनों के भीतर एजेंसियों का चयन कर लिया जाएगा और 90 दिनों के भीतर खेल कोचिंग केंद्रों को शुरू कर दिया जाएगा। उसके वित्त और विधि विभाग ने भी इस मॉडल पर अपनी सहमति दे दी है और स्पष्ट किया है कि सभी सीवीसी दिशा निर्देशों का पालन होगा। शिक्षा विभाग को आरएफपी प्रक्रिया लागू करने, एजेंसियों का चयन करने और समझौते निष्पादित करने का अधिकार सौंपा गया है।

कोरोना काल में यह व्यवस्था हो गई थी बंद
एनडीएमसी ने वर्ष 2016 में पहली बार इस मॉडल की शुरुआत की थी। फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, टेनिस, स्क्वैश और बास्केटबॉल जैसे खेलों में पेशेवर एजेंसियों के माध्यम से कोचिंग दी गई थी। शेरा ग्राउंड, तालकटोरा क्रिकेट ग्राउंड और शिवाजी हॉकी स्टेडियम जैसे खेल परिसरों का उपयोग बच्चों को प्रशिक्षण देने के लिए किया गया था। इस व्यवस्था में एनडीएमसी और निजी एजेंसियों के बीच फीस का बंटवारा होता था, जिससे परिषद को आय भी होती थी और खेल परिसरों के रखरखाव में मदद भी मिलती थी। कोविड-19 महामारी के कारण मार्च 2020 में यह व्यवस्था बंद करनी पड़ी और फिलहाल 13 अंशकालिक खेल प्रशिक्षक अनुबंध पर रखे गए हैं जिन पर करीब 45 लाख रुपये का सालाना खर्च हो रहा है।

शिक्षा के साथ खेल पर फोकस
एनडीएमसी के उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल का कहना है कि स्कूली शिक्षा तभी सार्थक है, जब बच्चों का समग्र विकास हो। आज के दौर में खेल भी उतना ही जरूरी है जितनी अकादमिक ज्ञान की आवश्यक होती है। उनका उद्देश्य है कि उनके स्कूलों में पढ़ने वाला बच्चा न केवल पढ़ाई में अच्छा हो, बल्कि खेल के मैदान में भी अपना भविष्य बना सके।

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