एक रात में तैयार हुई थी सबसे बड़ी बावड़ी, गुफा में गायब हो गई थी पूरी बारात
जयपुर. सीढिय़ों की भूल-भुलैया के लिए ख्यात दौसा के आभानेरी कस्बा स्थित चांद बावड़ी नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में जल्द ही दुनिया के मानचित्र पर नजर आएगी। किंवदंती है कि एक बार एक बारात यहां आई और बावड़ी में मौजूद अंधेरी-उजाली गुफा में उतर गई। इसके बाद बाहर नहीं आई। भूल-भुलैया के लिए मशहूर….
– बावड़ी में 250 एक समान सीढिय़ों की भूल-भुलैया है। कहा जाता है कि कोई सीढिय़ों पर सिक्के रखकर भी वापस आना-जाना चाहे तो चूक तय है।
– किंवदंती है कि एक बार एक बारात यहां आई और बावड़ी में मौजूद अंधेरी-उजाली गुफा में उतर गई। इसके बाद बाहर नहीं आई।
– कहते हैं चांदबावड़ी, अलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी को एक रात में बनाया गया। ये तीनों सुरंग से एक-दूसरे से जुड़ी हैं।
– किंवदंती है कि एक बार एक बारात यहां आई और बावड़ी में मौजूद अंधेरी-उजाली गुफा में उतर गई। इसके बाद बाहर नहीं आई।
– कहते हैं चांदबावड़ी, अलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी को एक रात में बनाया गया। ये तीनों सुरंग से एक-दूसरे से जुड़ी हैं।
युद्ध के समय इस सुरंग का इस्तेमाल किया जाता था
– बावड़ी की सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों में स्थित गणेश एवं महिषासुर मर्दिनी की भव्य प्रतिमाएं इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं।
– बावड़ी की सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों में स्थित गणेश एवं महिषासुर मर्दिनी की भव्य प्रतिमाएं इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं।
– इस बावड़ी में एक गुफा भी है, जिसकी लंबाई लगभग 17 कि.मी. है, जो पास ही स्थित गांव भांडारेज में निकलती है। कहा जाता है कि युद्ध के समय राजा एवं उनके सैनिकों द्वारा इस सुरंग का इस्तेमाल किया जाता था।
हॉलीवुड व बॉलीवुड भी नहीं रहे दूर
– आभानेरी अंग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी छाई हुई है। अंग्रेजी फिल्म ‘द फॉल’ व प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म ‘भूल भूलैया’ सहित अन्य कई फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है। चांद बावड़ी की सीढिय़ों पर कई कलाकार भी थिरक चुके हैं।
यह भी खास
– बावड़ी वाटर हार्वेस्टिंग का खूबसूरत नमूना है।
– यह धरोहर देश की सबसे बड़ी और गहरी बावड़ी में शुमार है।
– यहां के राजा चांद ने 8वीं सदी में इसे बनवाया था।
– बावड़ी में बेहद खूबसूरत भित्ति चित्र बने हुए हैं।
– यह धरोहर देश की सबसे बड़ी और गहरी बावड़ी में शुमार है।
– यहां के राजा चांद ने 8वीं सदी में इसे बनवाया था।
– बावड़ी में बेहद खूबसूरत भित्ति चित्र बने हुए हैं।