एक राज्य, एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के सिद्धांत पर अमल शुरू

केंद्र का एक राज्य, एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का सिद्धांत एक मई से लागू हो गया। एक मई से विभिन्न राज्यों के 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) का विलय प्रभावी हो गया और इसके साथ ही देश के 26 राज्य व दो केंद्रशासित प्रदेशों में आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 रह गई।

26 आरआरबी के विलय का फैसला किया गया

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाएं विभाग के मुताबिक बेहतर प्रशासन, कर्ज प्रवाह और वित्तीय समावेश के दायरे को बढ़ाने के उद्देश्य से 26 आरआरबी के विलय का फैसला किया गया है।

अप्रैल माह में आरआरबी के विलय की अधिसूचना जारी की गई थी जिस पर एक मई से अमल होना था। पिछले साल नवंबर में इन 26 बैंकों के विलय को लेकर वित्त मंत्रालय ने कवायद शुरू की गई। इससे बैंकों की संचालन लागत में भी कमी आएगी।

28 आरआरबी देश के लगभग 700 जिलों में

विलय के बाद ये 28 आरआरबी देश के लगभग 700 जिलों में अपनी 22,000 शाखाओं का संचालन करेंगी। इनमें से 92 प्रतिशत शाखाएं छोटे कस्बे और ग्रामीण इलाकों में हैं। दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के वित्तीय समावेश कार्यक्रम में इन आरआरबी की प्रमुख भूमिका होती है।

ग्रामीण इलाके में बैंकिंग सेवा के लिए 1975 में आरआरबी की शुरुआत हुई थी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले छोटे किसान, कृषि श्रमिक, विभिन्न प्रकार के कारीगर और कुटीर उद्यमियों को आरआरबी अपनी सेवाएं देता है।

आरआरबी के विलय का यह चौथा चरण

वित्त मंत्रालय के मुताबिक आरआरबी के विलय का यह चौथा चरण है। विलय के पहले चरण (2006-2010) में आरआरबी की संख्या 196 से घटाकर 82 कर दी गई थी। दूसरे चरण में (2013-2015) आरआरबी की संख्या 82 से घटाकर 56 तो तीसरे चरण (2019-2021) में इसकी संख्या 56 से घटाकर 43 कर दी गई।

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