एक नवंबर से दिल्ली में गैर-BS6 और गैर-CNG व्यावसायिक गाड़ियों पर बैन

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण पर लगाम लगाने और हरित परिवहन को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 1 नवंबर 2025 से सिर्फ BS6 मानक वाली और CNG (सीएनजी) से चलने वाली व्यावसायिक गाड़ियों (कमर्शियल व्हीकल्स) को ही दिल्ली में चलने की इजाजत होगी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हाल ही में ‘एयर पॉल्यूशन मिटिगेशन प्लान 2025’ लॉन्च करते हुए यह जानकारी दी। इस योजना के तहत दिल्ली मेट्रो के अहम स्टेशनों पर 2,299 इलेक्ट्रिक ऑटो भी लगाए जाएंगे, जिससे राजधानी की हवा को साफ रखने में मदद मिलेगी।
पूरे शहर में लगेंगे 18,000 चार्जिंग प्वाइंट
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार पूरे शहर में 18,000 पब्लिक और सेमी-पब्लिक ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाएगी। ये चार्जिंग पॉइंट मॉल, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और बड़े कमर्शियल एरिया में होंगे। इनमें से कुछ सरकारी निकायों द्वारा संचालित होंगे और कुछ प्राइवेट ऑपरेटर्स द्वारा। मौजूदा ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर का ऑडिट भी किया जाएगा और भविष्य में इसका विस्तार किया जाएगा।
सरकारी गाड़ियां भी होंगी इलेक्ट्रिक
मंगलवार को जारी हुई सरकार की योजना के तहत दिल्ली सरकार की 80 प्रतिशत गाड़ियां अब क्लीन फ्यूल यानी कि इलेक्ट्रिक या अन्य कम प्रदूषण वाले विकल्पों पर चलेंगी। निजी और व्यावसायिक स्तर पर भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए नई नीति लाई जा रही है। जंगलों और संरक्षित क्षेत्रों में सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चलने की इजाजत होगी। और बाकी सभी गैर-जरूरी पेट्रोल-डीजल गाड़ियों को धीरे-धीरे हटाया जाएगा।
स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम और निगरानी
दिल्ली की सड़कों पर जाम और उससे होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम लाया जा रहा है। इसके तहत सभी बॉर्डर एंट्री पॉइंट्स पर ANPR (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉक्निशन) कैमरे लगाए जाएंगे, जो पुरानी और बंद हो चुकी गाड़ियों की पहचान करेंगे। पड़ोसी राज्यों के वाहन मालिकों को एसएमएस अलर्ट मिलेगा और जगह-जगह पर लगे बोर्ड इन नियमों की जानकारी देंगे। इसके अलावा, सभी प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी करने वाले केंद्रों का हर छह महीने में ऑडिट किया जाएगा।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, “साफ और स्वस्थ दिल्ली हमारा सपना है और गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण उसमें सबसे बड़ी रुकावट है। लेकिन इसके समाधान ऐसे होने चाहिए जो आम जनता के लिए सुविधाजनक हों।” उन्होंने यह भी साफ किया कि फिलहाल ऑड-ईवन स्कीम को दोबारा लागू करने की कोई योजना नहीं है।
धूल और कचरे पर भी लगेगी लगाम
योजना के तहत 5 जून (वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे) से ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान शुरू किया जाएगा, जिसमें 70 लाख पौधे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही, 1,000 वॉटर स्प्रिंकलर, 140 एंटी-स्मॉग गन और 13 प्रमुख प्रदूषण वाले इलाकों में मिस्ट स्प्रेयर लगाए जाएंगे। इन सभी उपकरणों की निगरानी जीपीएस और सेंसर डैशबोर्ड से की जाएगी।
इसके अलावा, सड़कों की सफाई के लिए 200 मैकेनाइज्ड स्वीपर, 70 इलेक्ट्रिक कूड़ा उठाने वाली मशीनें और 38 वॉटर टैंकर तैनात किए जाएंगे। 3,000 वर्ग मीटर से बड़े मॉल और होटल जैसी ऊंची इमारतों को रूफटॉप एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य होगा।
पहली बार दिल्ली में होगा क्लाउड सीडिंग
दिल्ली सरकार IIT कानपुर के साथ मिलकर पहली बार क्लाउड सीडिंग तकनीक आजमाएगी, ताकि हवा में उड़ती धूल को कम किया जा सके। इसे मुख्यमंत्री गुप्ता ने ‘ऐतिहासिक कदम’ बताया। साथ ही, सरकार अन्य इनोवेटिव उपायों की भी जांच करेगी और विशेषज्ञ संस्थाओं से समझौते करेगी।
कचरा प्रबंधन और हवा की निगरानी भी होगी सख्त
ठोस कचरे से होने वाले प्रदूषण को भी योजना में खास अहमियत दी गई है। तीन बड़े लैंडफिल साइट्स को बंद करने की समय-सीमा तय की गई है – ओखला साइट मार्च 2027 तक, भलस्वा दिसंबर 2027 तक और गाजीपुर सितंबर 2028 तक पूरी तरह साफ हो जाएगी। ओखला में कचरे से ऊर्जा बनाने वाले प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 2,950 TPD की जाएगी, और नरेला-बवाना में एक नया 3,000 TPD प्लांट लगाया जाएगा।
हवा की गुणवत्ता को मॉनिटर करने के लिए छह नए निगरानी केंद्र बनाए जाएंगे। साथ ही, ई-वेस्ट के लिए एक नया ईको पार्क भी स्थापित किया जाएगा। औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण को सख्ती से लागू करने के लिए एक नई औद्योगिक नीति भी लाई जाएगी।