“मुताह” : निकाह करो, सम्बन्ध बनाओ पैसा अदा करो, और घर जाओ

“फ़तेह का फतवा” में शनिवार का विषय था, “मुताह” जानिए क्या है मुताह !!
 
हलाला की तरह ही इस्लाम में मान्यता प्राप्त एक और रिवाज है मुताह….
 
यह मर्दों की इक्षा पूर्ति के लिए अस्थायी निकाह है. उसके दिन तय होते हैं कि वह तीन दिन, एक सप्ताह, एक महिना, सौ दिन या एक वर्ष आदि. 
 
"मुताह" : निकाह करो, सम्बन्ध बनाओ पैसा अदा करो, और घर जाओ
यह दो प्रकार का होता है. माना जाता है कि जब जिहादी फौजें चलती थीं तो जहां फतह मिलती थी, जिहादी सैनिक वहां की औरतों से बलात्कार करते थे. अगर बच्चे हो जाते थे तो वे नाजायज कहे जाते थे. इसलिए मुताह निकाह का सिस्टम बनाया गया. 
 
दूसरा है जिहाद में लड़ने वाले जिहादी (आतंकवादी) को सेक्स संतुष्टि उपलब्ध कराने के लिए ताकि जिहादी पूरा ध्यान अल्लाह के मार्ग में जिहाद पर लगायें. 
 
"मुताह" : निकाह करो, सम्बन्ध बनाओ पैसा अदा करो, और घर जाओइसके लिए मुस्लिम लड़कियों का जिहादियों से अस्थायी शादी करा दी जाती है. वे उन्हें अस्थायी रूप से भोगते हैं और जब प्रेग्नेंट हो जाती हैं तो उन्हें वापस भेज देते हैं. कश्मीर में ऐसे कई केस सामने आये हैं. 
 
इसका विस्तृत ब्यौरा एक बार सहारा न्यूज पेपर में पढ़ा था और कितने पाकिस्तान नामक किताब में भी. इसी के तहत कई लड़कियां ISIS में सिर्फ आतंकियों की सेक्स संतुष्टि के लिए ही शामिल हुई थी. ISIS की तरह ISI भी इसी माध्यमसे अपने आतंकियों को लडकियाँ उपलब्ध करवाते हैं. 

दूसरा है गरीब मुसलमान पैसे के लिए अपनी बेटियों का मुताह पैसे वाले ऐयाश मुस्लिमो से कर देते हैं. 
 गूगल कर आप जान सकते है की अरब के अमीर मुस्लिम भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में “मुताह” करने आते है 
 
 हाल में हैदराबाद और मुंबई में कई मामले ऐसे सामने आए हैं कि खाड़ी देशों से महीने-दो महीने के लिए शेख आते हैं तो उनको वक्त बिताने के लिए कोई चाहिए. जिम्मेदारी भी नहीं निभानी है. मजा भी करना है. 
 
तो वे यहां आकर इस तरह की अस्थायी शादियां करते हैं. इसमें तो एक बार कोई लड़की फंस गई तो उसकी शादी कभी नहीं होती. फिर उसे मुताही बोलते हैं. जैसे-जैसे उसकी जवानी ढलती है, उसके पैसे घटते जाते हैं. 
 
यहां तक होता है कि कई औरतों को सिर्फ खाने-कपड़े पर रखा जाता है, उनका यौन उत्पीड़न किया जाता है और वे घर का काम भी करती हैं. यह एक तरह की कानूनी वेश्यावृत्ति है. 
 
इसमें मौलवी भी खबर रखते हैं कि किसके घर की लड़की सयानी हो गई है और किसके घर का लड़का लौटने वाला है. वे इसमें बिचौलिये की भूमिका निभाते हैं. हाल में हैदराबाद में ऐसे मौलबी गिरफ्तार किये गये हैं. 
 
वास्तव में यह लम्पट ऐयाशजिहादी मर्दों के भोग के लिए बनायीं गयी वैध वेश्यावृत्ति है जिसका मजा जिहादी पुरुष उठाते हैं और सजा सिर्फ मुस्लिम महिलाएं झेलती हैं
 
कम शब्दों में कहें, तो “मुताह” एक ऐसा निकाह है की, सम्भोग के लिए निकाह करो, निकाह से पहले तय कर  
लो की महिला को क्या मिलेगा, फिर निकाह करो, सम्बन्ध बनाओ और 
पैसा या जो डील हुई उसे अदा करो, और अपने अपने घर जाओ 
 
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