एक अरब से ज्यादा लोग हैं मेंटल डिसऑर्डर्स से परेशान

हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन दो रिपोर्ट में यह जानकारी दी कि दुनियाभर में एक अरब से भी ज्यादा लोग मेंटल हेल्थ से जुड़ी किसी न किसी परेशानी से जूझ रहे हैं। मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए सही इलाज और सपोर्ट बेहद जरूरी है। आइए जानें इन रिपोर्ट्स में क्या कहा गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की नई रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित रहे, जिसमें हर सात में से एक व्यक्ति शामिल है। इनमें सबसे आम हैं। चिंता और अवसाद।
डब्ल्यूएचओ की दो ताजा रिपोर्ट वर्ल्ड मेंटल हेल्थ टुडे और मेंटल हेल्थ एटलस 2024 बताती हैं कि हालांकि कई देशों ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए नीतियां और कार्यक्रम बनाए हैं, लेकिन अभी भी सेवाओं और निवेश की कमी है। युवाओं के बीच आत्महत्या मौत का एक प्रमुख कारण है, जो वैश्विक स्तर पर हर 100 मौतों में से एक का कारण बनती है और ऐसी प्रत्येक मौतों के लिए लगभग 20 प्रयास किए जाते हैं।
स्किजोफ्रेनिया और बाइपोलर विकार का प्रभाव
रिपोर्ट के लेखकों ने यह भी कहा कि स्किजोफ्रेनिया और बाइपोलर विकार, जो क्रमशः लगभग 200 में से एक और 150 में एक वयस्कों को प्रभावित करते हैं, एक प्राथमिक चिंता का विषय हैं। उन्होंने लिखा कि स्किजोफ्रेनिया अपने तीव्र अवस्था में सभी स्वास्थ्य स्थितियों में सबसे अधिक बाधित करने वाला माना जाता है और यह समाज के लिए प्रति व्यक्ति सबसे महंगा मानसिक विकार है।
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि ये अनुमान मानसिक विकारों के प्रचलन और बोझ पर नवीनतम जानकारी प्रदान करते हैं। यह कोविड – 19 महामारी के बाद का पहला ऐसा अनुमान है जो 2020 में शुरू हुआ था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मानसिक स्वास्थ्य और देखभाल में निरंतर निवेश की तत्काल आवश्यकता है, ताकि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा और संवर्धन के लिए सेवाओं का विस्तार किया जा सके।
हर सरकार और हर नेता की जिम्मेदारी
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डा. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का बदलाव सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। मानसिक स्वास्थ्य में निवेश करना लोगों, समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं में निवेश करना है। यह एक ऐसा निवेश है, जिसे कोई भी देश नजरअंदाज नहीं कर सकता।
हर सरकार और हर नेता की जिम्मेदारी है कि वे तात्कालिकता के साथ काम करें व सुनिश्चित करें कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को विशेषाधिकार के रूप में नहीं, बल्कि एक मौलिक अधिकार के रूप में देखा जाए।” लेखकों ने मानसिक विकारों व बड़े आर्थिक प्रभावों पर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें उत्पादकता में हानि व अप्रत्यक्ष लागतें स्वास्थ्य देखभाल लागतों से अधिक हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च की जरूरत
2020 के बाद से प्रमुख देशों ने मानसिक स्वास्थ्य नीतियों और योजना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है । हालांकि, शोध लेखकों ने कहा कि यह प्रगति कानूनी सुधार में नहीं बदली है। आमतौर पर, दुनिया भर की सरकारें मानसिक स्वास्थ्य पर कुल स्वास्थ्य बजट का केवल दो प्रतिशत खर्च करती हैं, जो 2017 से अपरिवर्तित है।
उच्च आय वाले देशों में प्रति व्यक्ति खर्च 65 अमेरिकी डालर से लेकर निम्न आय वाले देशों में 0.04 अमेरिकी डालर तक भिन्नता पाई गई। उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक स्तर पर, 13 मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता आमतौर पर एक लाख लोगों की देखभाल करते हैं, जिसमें निम्न और मध्य- आय वाले देशों में अत्यधिक कमी” है।