एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें पूजा, जानिए बप्पा के प्रिय भोग और मंत्र

सनातन धर्म में भगवान गणेश की पूजा का खास महत्व है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है, जो सभी विघ्नों और बाधाओं को दूर करने वाली मानी जाती है। इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी आज यानी 16 मई को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से सभी दुखों का अंत होता है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, चंद्रोदय शाम 10 बजकर 39 मिनट पर होगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें।
पूजा स्थल को साफ करें और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
गणेश जी को चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत और फूल अर्पित करें।
धूप और दीप जलाएं।
गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।
उन्हें फल, मिठाई और मेवे भी अर्पित कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
गणेश चालीसा का पाठ करें या उनके मंत्रों का जाप करें।
अंत में आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
पूरे दिन उपवास रखें। यदि संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं।
शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलें, क्योंकि चंद्रमा को अर्घ्य देना इस पूजा का अहम भाग है।

भगवान गणेश के प्रिय भोग
भगवान गणेश को मोदक सबसे प्रिय है। इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन उन्हें मोदक का भोग जरूर लगाना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें लड्डू, बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू और गुड़ से बनी चीजें भी बहुत पसंद है। आप उन्हें अपनी श्रद्धा अनुसार फल और मिठाई भी अर्पित कर सकते हैं।

गणेश जी पूजन मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्व जनं मे वशमानय स्वाहा॥

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