एआई से बनाई नकली चोट की फोटो भेजी और मिल गई छुट्टी

कहानी की शुरुआत एक ऐसे कर्मचारी से हुई जिसे छुट्टी चाहिए थी, लेकिन वह पुराने बहानों की बजाय एआई की मदद से नया, टेक्नोलॉजी वाला तरीका अपनाना चाहता था।

हमारा बचपन इस बात को सुनते हुए बीता है कि “जो चीज अपनी आंखों से दिखे, वही सबसे पक्का सबूत होती है।” पर अब लगता है ये कहावत इतिहास बनने वाली है। साल 2025 की दुनिया में तस्वीरें असलियत नहीं बतातीं, बल्कि कई बार इतनी परफेक्ट झूठ पेश करती हैं कि देखने वाला भी धोखा खा जाए। इसी बदलते दौर की एक मिसाल सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिसने कंपनियों और HR विभागों की नींद उड़ा दी है। तो आइए विस्तार से जानते हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई यह घटना

इस घटना की शुरुआत होती है एक कर्मचारी से, जिसे छुट्टी चाहिए थी। पहले जैसे बहाने ठंड लग गई, बुखार आ गया, या डॉक्टर का सर्टिफिकेट, वो नहीं अपनाना चाहता था। उसने सोचा कि जब जमाना एआई का है तो बहाना भी टेक्नोलॉजी वाला होना चाहिए। हुआ भी यही। X पर @kapilansh_twt की एक पोस्ट में बताया गया कि कर्मचारी ने अपने हाथ की एक बिल्कुल नॉर्मल फोटो खींची। हाथ पर कोई चोट या सूजन तक नहीं थी। फिर उसने एक एआई टूल खोला और एक छोटी सी कमांड दी।

शख्स ने एआई से बनाई चोट

कुछ ही पलों में एआई ने उस साफ-सुथरे हाथ पर ऐसा गहरा और असली जैसा घाव बना दिया कि देखकर कोई भी सोच ले कि आदमी का हाल बुरा है। फोटो में बनी चोट इतनी नेचुरल थी कि असली-नकली में फर्क करना लगभग नामुमकिन था। कर्मचारी ने तुरंत यह तस्वीर अपने HR को भेज दी और लिखा कि वह बाइक से गिर गया है, इसलिए ऑफिस नहीं आ सकता। HR ने फोटो देखते ही पूरी कहानी पर भरोसा कर लिया। न उन्होंने अस्पताल की रिपोर्ट मांगी, न पूछा कि डॉक्टर ने क्या कहा। बस फोटो देखकर दया आ गई और छुट्टी मंजूर कर दी। मजेदार बात यह कि न कोई एक्सीडेंट हुआ था, न दर्द, न पट्टी। सब कुछ सिर्फ एआई की कलाकारी थी।

कंपनी ने भी नहीं किया वेरीफाई

इस वाकये ने कंपनियों की एक बड़ी कमी को उजागर कर दिया है। HR सिस्टम ऐसे समय के लिए बनाए गए थे, जब फोटो का मतलब था असली सबूत। लेकिन अब तस्वीरें भरोसेमंद नहीं रहीं। एआई इतनी तेजी से नकली चीजों को असली जैसा दिखाने लगा है कि इंसानी आंखें कई बार सच को पहचान ही नहीं पातीं।पोस्ट में भी कहा गया है कि असली दोषी एआई नहीं है। एआई सिर्फ वही करता है जो इंसान उससे करने के लिए कहता है। असली दिक्कत यह है कि कंपनियों के वेरिफिकेशन तरीके समय के साथ अपडेट नहीं हुए हैं।

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