उपेक्षा की मार झेल रहा राजस्थान का मिनी खजुराहो

राजस्थान के बारां जिले से लगभग 36 किलोमीटर दूर रामगढ़ की पहाड़ियों के बीच स्थित भांड देवरा मंदिर, जिसे मिनी खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है, आज अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के बावजूद जर्जर हालत में है। भगवान शिव को समर्पित यह प्राचीन मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है, जो बिना रेत, चूना या सीमेंट के केवल पत्थरों को जोड़कर बनाया गया था।

स्थानीय निवासी चंद्र स्वामी के अनुसार मंदिर की स्थापना 942 ईस्वी में राजा मलय वर्मन ने की थी। उनका कहना है कि मध्यप्रदेश में खजुराहो के मंदिरों की स्थापना 1025 ईस्वी में हुई थी, इसलिए वास्तुशैली की दृष्टि से उन्हें रामगढ़ शैली का कहा जाना चाहिए। कुछ स्थानीय निवासियों का यह भी मानना है कि मंदिर की स्थापना लगभग 250 वर्ष पहले ही की गई थी।

भांड देवरा मंदिर भगवान शिव परिवार को समर्पित है और इसमें तीन तल हुआ करते थे। कहा जाता है कि इस मंदिर ने कई विदेशी आक्रमणों के प्रहार झेले, जिनके निशान आज भी यहां देखे जा सकते हैं। राजा मलय वर्मन ने मंदिर निर्माण के लिए रामगढ़ की पहाड़ियों को इसलिए चुना था क्योंकि करोड़ों वर्ष पूर्व यहां उल्का पिंड गिरने से एक क्रेटर बना था, जिसे अब रामगढ़ क्रेटर के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।

स्थानीय लोगों के अनुसार करीब 25 वर्ष पहले मंदिर से भगवान शिव का प्राचीन विग्रह चोरी हो गया था। बताया जाता है कि वह शिवलिंग बाद में मथुरा संग्रहालय में देखा गया। वर्ष 2013 से पहले मंदिर के संरक्षण के लिए करीब 10 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे, लेकिन बाद में वह राशि रद्द हो गई।

आज यह ऐतिहासिक धरोहर उपेक्षा का शिकार होकर धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। वह मंदिर, जिसने विदेशी आक्रांताओं का सामना किया, अब अपने ही लोगों की उदासीनता झेल रहा है।

भांड देवरा मंदिर घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक का है। बारां तक सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। जयपुर से यहां की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है।

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