उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने पर दिया जोर

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि अब किसानों को सिर्फ उत्पादक होने से ऊपर उठना होगा। राष्ट्रीय कृषि एजेंडे के लिए खाद्य सुरक्षा से किसान समृद्धि की ओर बढ़ने का समय आ गया है।
धनखड़ इस समय दो दिवसीय तमिलनाडु के दौरे पर
धनखड़ इस समय दो दिवसीय तमिलनाडु के दौरे पर हैं। यहां रविवार को वे तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टीएनएयू) में एक व्याख्यान समारोह में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में राज्यपाल आरएन रवि और टीएनएयू के अधिकारी मौजूद थे।
टीएनएयू में विकसित भारत के लिए कृषि-शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना… विषय पर छात्रों और अन्य लोगों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने आगे कहा कि भारत में 46 प्रतिशत आबादी कृषि से जुड़ी हुई है बावजूद इसके यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में केवल 16 प्रतिशत का योगदान देता है।
सकल घरेलू उत्पाद को लेकर कही ये बात
ऐसे में टीएनएयू जैसे संस्थानों को कृषि विज्ञानी दिवंगत डा एमएस स्वामीनाथन की विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र के द्वारा होने वाले योगदान में बढ़ोतरी हो सके।
वैश्विक स्तर पर कृषि के क्षेत्र में भारत की स्थिति की बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अब कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक है। हमारे कुल निर्यात में कृषि खाद्य उत्पादों का हिस्सा 11 प्रतिशत से अधिक है।
भूमि और प्रयोगशाला के बीच की खाई को पाटा जाना चाहिए
उन्होंने कहा कि लेकिन अब आपको एक नया अध्याय लिखना होगा। अब समय बदल गया है। हमें खाद्य सुरक्षा से किसान समृद्धि की ओर बढ़ना चाहिए। किसान समृद्ध होना चाहिए और यह आपके जैसे संस्थानों से विकसित होना चाहिए। भूमि और प्रयोगशाला के बीच की खाई को पाटा जाना चाहिए।
कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को शिक्षित करें
इसके लिए हमारे 730 कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को शिक्षित करने के लिए कार्रवाई के जीवंत केंद्र होने चाहिए। इसके अलावा, नवाचार और शोध पहलों का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाना चाहिए कि उनका किसान पर क्या प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा उद्योग, व्यापार, व्यवसाय और वाणिज्य द्वारा भी शोध को समर्थन दिया जाना चाहिए।