उत्तराखंड के इस राज्य में जिस भी दल की रही सरकार, उसे लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार

इस राज्य में जिसकी बनी सरकार, उसे लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। अब तक हुए तीनों लोकसभा चुनावों में यह ट्रेंड देखने को मिला है। वहीं, चार उपचुनावों में मिले-जुले नतीजे आए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में यह ट्रेंड रिपीट होता है या बदलता है।

राज्य में पहली बार लोकसभा का उपचुनाव 2002 में नैनीताल सीट पर हुआ। पहली निर्वाचित सरकार में मुख्यमंत्री बनने के बाद नारायण दत्त तिवारी ने नैनीताल सीट से इस्तीफा दिया था। तब इस सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के महेंद्र पाल ने 200181 वोट हासिल कर भाजपा के बलराज पासी को एक लाख से अधिक के अंतर से शिकस्त दी थी।

2004 में हुए आम चुनाव के समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। उसके बावजूद पार्टी केवल नैनीताल सीट पर जीत हासिल करने में सफल हो पाई। भाजपा ने पौड़ी, टिहरी व अल्मोड़ा और सपा ने हरिद्वार सीट अपने नाम की। 2007 में टिहरी सांसद मनुजेंद्र शाह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के विजय बहुगुणा ने जीत हासिल की थी। 

इसी वर्ष राज्य में भाजपा ने सरकार बनाई तो पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद मे.ज. भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्यमंत्री बनाया गया। 2008 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के ले.ज. टीपीएस रावत ने जीत हासिल की। 2009 में हुए आम चुनाव के नतीजे राज्य की सत्ता पर काबिज भाजपा के खिलाफ रहे और कांग्रेस ने 5-0 से क्लीन स्वीप किया था।

2012 में कांग्रेस के विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री बनने के बाद टिहरी लोक सभा सीट पर एक बार फिर उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा की माला राज्यलक्ष्मी शाह ने कांग्रेस के साकेत बहुगुणा को 20 हजार से अधिक वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button