अखीर क्यों ? PM मोदी से पुतिन ने कहा चीन को उड़ाना है “ब्रह्मोस क्रूज दो”

नई दिल्ली। रूस की सेना भारत से ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें खरीदना चाहती है। रूस इन्हें अपने सुखोई एसयू-30 एसएम फाइटर प्लेन पर तैनात करना चाहता है। बता दें कि भारत ने रूस की मदद से ही इन मिसाइलों को बनाया था।

 
अखीर क्यों ? PM मोदी से पुतिन ने कहा चीन को उड़ाना है "ब्रह्मोस दो" इसी साल जून महीने में भारत अमेरिका का स्ट्रैटजिक डिफेंस पार्टनर बना है। इसके बाद अमेरिका जल्द ही भारत को 22 प्रिडेटर गार्डियन ड्रोन बेचने का फैसला कर सकता है। रूसी मीडिया के मुताबिक, भारत द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल के साथ फाइटर प्लेन एसयू-30 एमकेआई के टेस्ट के बाद रूसी सेना 2017 में इसकी खरीद की बात शुरू कर सकती है।
दक्षिणी चीन सागर पर अड़े चीन से निपटने के लिए रूस को इन मिसाइलों की जरूरत पड़ सकती है। वहीं भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के डेमन्सट्रेटर के साथ फाइटर प्लेन की टेस्टिंग इस साल गर्मियों में की थी। मिसाइल के साथ पहले एयरक्राफ्ट का टेस्ट इस साल के अंत तक होने की उम्मीद है। भारतीय सेना के पास अब तक इस मिसाइल को जमीन व समुद्र से लॉन्च करने वाला वर्जन है। 
यहां प्लेन से ब्रह्मोस मिसाइल लॉन्च करने का यह पहला सिस्टम होगा। भारत पहले अपने एयरफोर्स में इसका ऑपरेशन शुरू करेगा। इसके बाद यह रूस को मिलेगा। बता दें कि मिसाइल बनाने को लेकर भारत व रूस के बीच 12 फरवरी 1998 को समझौता हुआ था। इसके बाद भारत में ब्रह्मोस एयरोस्पेस बना था।
इंडियन ओशन में मैरीटाइम सर्विलांस के लिए भारत की ओर से इसकी रिक्वेस्ट की गई थी। ये अनआर्म्ड हाईटेक मल्टी-मिशन ड्रोन सर्विलांस के अलावा बड़े हमले को भी अंजाम दे सकता है। माना जा रहा है कि अमेरिका ने इसी तरह के ड्रोन के हमले से ISIS के नकाबपोश आतंकी जिहादी जॉन का खात्मा किया था।
बताया जा रहा है कि फरवरी में इंडियन नेवी की ओर से अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट को 22 प्रिडेटर गार्डियन ड्रोन खरीदने के लिए लेटर लिखा गया था। अगर ड्रोन पर डील हो जाती है तो स्ट्रैटजिक डिफेंस पार्टनर बनने के बाद भारत-अमेरिका के बीच ये बड़ी आर्म डील होगी।  न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हालांकि अभी तक अमेरिका की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन भारत की रिक्वेस्ट पर इंटर एजेंसी प्रॉसेस शुरू कर दी गई है।
अगर यह डील हो जाती है तो न केवल भारत को ये मल्टीमिशन ड्रोन मिल जाएंगे, बल्कि इससे दोनों देशों के बीच स्ट्रैटजिक डिफेंस पार्टनरशिप भी नए लेवल पर पहुंच जाएगी। अफसरों का मानना है कि अगर गार्डियन और UAVs का इस्तेमाल भारत हिंद महासागर क्षेत्र में करता है तो इससे अमेरिका को कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि एशिया-पैसिफिक रीजन में अमेरिका की भी दिलचस्पी है।
सूत्रों के मुताबिक, मनोहर पर्रिकर इस मसले यूएस डिफेंस मिनिस्टर से चर्चा कर चुके हैं। पर्रिकर पिछले हफ्ते अमेरिका में थे और 29 अगस्त को उन्होंने अपने यूएस काउंटरपार्ट एश्टन कार्टर से बात की थी। मीटिंग के दौरान कार्टर ने पर्रिकर को भरोसा दिलाया था कि वो इस मसले को खुद देखेंगे। अफसरों का कहना है कि व्हाइट हाउस-पेंटागन के अलावा अमेरिकी कांग्रेस के कुछ प्रभावशाली सदस्य भी चाहते हैं कि जब तक जनवरी में ओबामा प्रेसिडेंट पोस्ट छोड़ें, तब तक ये डील पूरी हो जाए।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button