‘उंगलियां नहीं मुडतीं’, खुद को दिखाने हॉस्पिटल गई गर्भवती महिला, डॉक्टरों ने कहा- बचे हैं बस एक साल!

गर्भावस्था का समय हर महिला के लिए खास होता है. शरीर में बदलाव, हल्का दर्द और थकान को लोग आम समझते हैं. ज्यादातर माएं इसे सह लेती हैं, सोचती हैं कि ये बस कुछ महीनों की बात है. कई बार दवा लेती हैं, तो कभी डॉक्टर से सलाह. लेकिन कभी-कभी ये दर्द कुछ और कहानी छुपाए होता है. आज हम एक ऐसी महिला की बात करेंगे, जिसके लिए गर्भावस्था की खुशी जिंदगी की सबसे बड़ी जंग बन गई. इस महिला का नाम लॉरा माहोन (Laura Mahon) है, जो इंग्लैंड के सेंट हेलेन्स, मर्सीसाइड (St Helens, Merseyside) की रहने वाली हैं. 31 साल की लॉरा को अपनी प्रेग्नेंसी के बीच में अजीब लक्षण दिखे और जब सच सामने आया तो उनकी फैमिली के सभी लोग हैरान रह गए. डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर है, जिसकी वजह से वो बस एक साल तक जिंदा रह पाएंगी.
बता दें कि लॉरा को प्रेग्नेंसी के बीच में पैर की उंगलियां मोड़ने में दिक्कत हुई. पहले लगा कि ये गर्भावस्था का आम दर्द है, लेकिन उन्होंने डॉक्टरों से MRI की मांग की. नतीजा चौंकाने वाला था. उनके दिमाग में एक ग्लियोमा ट्यूमर (brain tumor) था, जो एक कैंसर का प्रकार है. डॉक्टरों ने कहा कि उनके पास सिर्फ एक साल बचा है. लॉरा कहती हैं, “मेरा दिल टूट गया. मैं अपने पति डैनी और होने वाली बेटी सिएना के लिए डर गई थी.” डॉक्टरों ने दो रास्ते दिए या तो प्रेग्नेंसी जारी रखें, या इलाज शुरू करें जो बच्चे की जान खतरे में डाल सकता था. लॉरा और डैनी ने सिएना के लिए 32 हफ्ते तक इंतजार करने का फैसला किया, लेकिन 27 हफ्तों में हालत बिगड़ गई. लॉरा बताती हैं, “कैंसर फैल रहा था. मेरे दाहिने हाथ में सुन्नपन आ गया, पैर की हिलने की ताकत कम हो गई. चलना मुश्किल हो गया था.”
ऐसे में 30 हफ्तों में डॉक्टरों ने आपात सी-सेक्शन किया. सिएना 10 हफ्ते पहले पैदा हुई, छोटी लेकिन स्वस्थ. इसके बाद लॉरा ने दिमाग के कैंसरस ट्यूमर के इलाज के लिए कीमो और रेडियोथेरेपी शुरू किया. लेकिन ट्यूमर ऑपरेशन से निकालने लायक नहीं था. इलाज के बावजूद कुछ काम नहीं बना. लॉरा का ये दुर्लभ कैंसर सितंबर 2021 में डायग्नोसिस हुआ और जून 2024 में हालत बद से बदतर होती चली गई. लॉरा को तीन दिनों में 50 से ज्यादा दौरे पड़े. ऐसे में उन्हें द वाल्टन सेंटर (The Walton Centre) में भर्ती किया गया, लेकिन दो महीने बाद डॉक्टरों ने कहा कि NHS के पास और कोई इलाज नहीं. लॉरा कहती हैं, “ट्यूमर बहुत बढ़ गया. मेरा लिवर भी जवाब दे रहा था. कीमो अब संभव नहीं.” फिर भी वो हारी नहीं. परिवार गो फंड मी (GoFundMe) पर पैसे जुटा रहा है ताकि प्राइवेट इलाज करवा सकें.
बता दें कि डॉक्टरों ने जिस लॉरा को कहा था कि वो एक साल ही जिंदा रह पाएंगी, वो पिछले तीन सालों से अपनी जिंदगी की जंग लड़ रही हैं. अब वो खुद का इलाज करवाने के साथ-साथ ब्रेन कैंसर से जूझ रहे अन्य मरीजों के बीच भी जागरुकता फैलाने का काम कर रही हैं. वे अक्सर इंस्टाग्राम और टिकटॉक पर अपनी कहानी शेयर करती हैं, जिनमें बताती हैं कि ब्रेन कैंसर 40 से कम उम्र के लोगों और बच्चों को सबसे ज्यादा मारता है, पर रिसर्च के लिए सिर्फ 1% फंड मिलता है. वो कहती हैं, “इस असमानता ने मुझे जागरूकता फैलाने और फंड जुटाने की हिम्मत दी.” लॉरा कहती हैं, “मेरा ट्यूमर बढ़ रहा है. चीजें बिगड़ रही हैं. मुझे नहीं पता कितना वक्त बचा है.”