इस मंदिर में होती है योनि की पूजा, जानिए… इस मंदिर का रहस्य
ऐसी मान्यता है की जब दक्ष ने अपनी पुत्री सती के सामने उनके पति भगवान शंकर को यज्ञ में अपमानित किया और अपशब्द कहे तो सती ने दुःखी हो कर यज्ञ में ही आत्म-दहन कर लिया था। जिसके बाद क्रोध में शंकर जी ने सती कि मृत-देह को उठा कर संहारक नृत्य किया जिसके बाद सती का शरीर 51 हिस्से बंटकर पृथ्वी के अलग-अलग में गिरा, जो बाद में 51 शक्ति पीठ कहा जाता है । सती का योनिभाग कामाख्या में गिरा था जिसके बाद यहीं पर कामाख्या मन्दिर का निर्माण किया गया।
इस शक्तिपीठ का सबसे रोचक एव सबसे अनोखा तथ्य ये है की यहाँ माता का योनी भाग गिरा था इस कारण यहाँ साल में तीन दिन तक माता रजस्वला होती है। इन तीन दिनों के लिये इस मंदिर को पूर्ण रूप से बंद रखा जाता है। इस मंदिर को दुनिया का केंद्र बिन्दु माना जाता है ,ऐसा कहाँ जाता है की संसार की उत्पति यही से हुई है। ऐसा कहाँ जाता है की जब देवी रजस्वला होती है तो मंदिर के पास बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी देवी के रज से लाल हो जाती है ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे ही माता कामाख्या का ये बेहद खूबसूरत मंदिर स्थित है।