इस फोटो में छिपा एक सेक्स वर्कर के दिल का दर्द, खबर पढ़कर रो देंगे आप

कितना मुश्किल होता है परिवार के बिना जीना। जिंदगी एक चारदीवारी के अंदर कैद हो और हर दिन पेट भरने के लिए अपने जिस्म का सौदा करना पड़े। उसे किसी और को सौंपना, जिसे जानते भी न हो, जिसके मुंह से शराब की महक आ रही हो या जिस्म से पसीने की बदबू। न कोई अपना कहने वाला हो, न कोई मां हो जिसके पल्लू में छिपकर आंसू बहा सके, गलती करने पर डांट सुनाने वाला पिता हो, न छोटी-छोटी बात पर लड़ने और प्यार करने वाला भाई हो। न जीने के लिए कोई सपना हो या प्यार करने के लिए प्रेमी। कुछ ऐसी होती है एक सेक्स वर्कर की जिंदगी जिसे अपनी तस्वीर से बयां किया है बांग्लादेश के फोटोग्राफर जीएमबी आकाश ने। 
काफी समय से मुझे चाहत है कि मैं किसी हरे मैदान में जाऊं। मैं कभी किसी हरे खेत में नहीं गई लेकिन अब दिल से वाकई इसे देखना चाहती हूं। मुझे एक बीमारी है मैं बंद दरवाजे के पीछे सांस नहीं ले सकती। मैं जब हंसती हूं तो मैं रो रही होती हूं। मुझसे खुद पर नियंत्रण नहीं होता उस वक्त लेकिन इस वजह से हमारी मां को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। हमारी मां हमारी मैडम हैं। मैं उनको विश्वास दिलाती हूं कि मैं जल्द ही ठीक जाऊंगी, मैं सिर्फ हंसूगी और कभी नहीं रोऊंगी।

मैं ये याद रखने के लिए उस वक्त काफी छोटी थी। किसी शख्स की कोई याद भी नहीं है, जब मैं अपनी आंखें बंद करती हूं तो मुझे किसी का चेहरा दिखाई नहीं देता, मैं अकेला महसूस करती हूं। लड़कियों की आदत होती है ये कहने की कि उनका कोई भी नहीं है लेकिन मैं खुद से कहती हूं कि कहीं किसी कोने में मेरा कोई जरूर कोई होना चाहिए, शायद एक मां, एक पिता या फिर एक खोया हुआ परिवार। 

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मेरे पास कभी कुछ याद करने को नहीं रहा। इसलिए मैं कोई एक चेहरा याद करने की कोशिश करती हूं, बस कोई एक चेहरा और कोई वहां नहीं आता। और ये सोचकर मुझे रोना आ जाता है लेकिन मेरे मेकअप बिगाड़ने से पहले मेरी सहेली, प्रियंका मेरे आंसू पोंछ देती है। वो हमेशा मुझे याद दिलाती है कि मेरे आंसुओं से ज्यादा कीमती मेरा मेकअप है।

वो मुझे वहां लेकर जाएगी और वहां मैं खुलकर सांस ले सकूंगी।और उस दिन जब मैं अपनी आंख बंद करूंगी तो किसी का चेहरा जरूर देखूंगी। कम से कम मेरे जीवन में एक बार मैं जरूर ये महसूस करूंगी कि मैं अकेली नहीं हूं। 

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