इस दिन रखने व्रत से मिलेगी सभी कार्यों में सफलता…

सफला एकादशी का हिन्दू धर्म में खास महत्व होता है। इस व्रत को करने से भक्त के सभी रूके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं तो आइए हम आपको सफला एकादशी व्रत के महत्व तथा पूजा-विधि के बारे में बताते हैं।
जानें सफला एकादशी के बारे में
हिन्दू धर्म में एकादशी का खास महत्व है। लेकिन पौष महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आने वाली सफला एकादशी का खास महत्व होता है। विशेष फलदायी होने के कारण धार्मिक ग्रन्थों में इसे सफला नामक एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह एकादशी मनोकामना सफल करने वाली एकादशी है। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति विधिपूर्वक इस व्रत को करता है तथा रात्रि जागरण करता है उसे इस तपस्या का विशेष फल भी प्राप्त होता है।
सफला एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
पद्म पुराण में सफला एकादशी की कथा का वर्णन किया गया है। यह कथा सुनने, पढ़ने या सुनाने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस कथा के अनुसार एक बार एक राज्य में महिष्मान नाम का एक राजा रहता था। इनके राज्य में सब कुछ ठीक था लेकिन राजा के बड़े पुत्र सदैव पापयुक्त कामों में लिप्त रहता है। इन कार्यों से राजा बहुत दुखी होते थे उन्होंने अपने बेटे से नाराज होकर उसे देश से बाहर निकाल दिया। उनका पुत्र जिसका नाम लुम्पक था वह देश से निकाले जाने के बाद वन में रहने लगा। 
ठंड में दिन-रात गुजारना लुम्पक को बहुत मुश्किल लगने लगा वह बहुत दुख हुआ। एक रात में ठंड के कारण वह बेहोश हो गया और सुबह होश में आया। होश आने के बाद खाने के लिए जंगल में फल इकट्ठा करने लगा। लेकिन शाम होते देख दुखी होकर भाग्य को कोसने लगा। एकादशी की एक रात वह सर्दी के कारण सो नहीं सका। इस तरह लुम्पक का एकादशी का व्रत पूरा हो गया। इस तरह एकादशी व्रत के प्रभाव लुम्पक के पिता ने उसे अपना साम्राज्य सौंप कर जंगल में तपस्या की। उसके बाद राजा भी वन में तप करने लगे। इस प्रकार एकादशी व्रत के प्रभाव से लुम्पक भी मृत्यु के बाद विष्णुधाम को गया। 
कैसे करें सफला एकादशी के दिन पूजा 
सफला एकादशी के दिन पवित्र मन से प्रातः उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। उसके बाद घर की साफ सफाई कर घर का मंदिर साफ करें। उसके बाद भगवान विष्णु को गंगा जल स्नान करा कर तिलक लगाएं। उसके बाद फल-फूल चढ़ाएं और भगवान की आरती उतारें। आरती करने के बाद विष्णु भगवान से जुड़े मंत्र का 108 बार जाप करें। उसके बाद पूजा-पाठ सम्पन्न कर रात्रि जागरण करें। सुबह उठकर विष्णु जी की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान करा कर पूजा करें तथा ब्राह्मणों को भोजन कराकर यथाशक्ति दान दें। उसके बाद पारण करें। 
जानें सफला एकादशी का महत्व 
पद्म पुराण में सफला एकादशी व्रत की महिमा का वर्णन मिलता है। सफला एकादशी व्रत की महत्ता के बारे में श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। उसके अनुसार जो व्यक्ति सफला एकादशी के दिन व्रत रखता है तथा रात्रि जागरण करता है उसे करोड़ों वर्षों की तपस्या का फल प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में दुखों को भी व्यक्ति आसानी से सहन कर लेता है और मृत्यु के पश्चात उसे सदगति प्राप्त होती है। 
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