इस दिन खुलता है नरक का दरवाजा, जब धरती पर आती है भूखी और शैतानी आत्माये

अक्सर प्रेत आत्माओ का नाम सुनकर पसीने आ जाते है। लेकिन आज हम आपको इनसे जुड़ा एक ऐसा राज़ बताने जा रहे है जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जायेंगे। ‘द घोस्ट फेस्टिवल’ को ‘हंगरी घोस्ट फेस्टिवल’ के नाम से भी जाना जाता है। यह बौद्ध और टोइस्टि धर्म में प्रचलन में है। चीन के कैलेंडर (लुनिसोलर कैलेंडर) के अनुसार, घोस्ट फेस्टिवल का आयोजन सातवें महीने के 15वीं (दक्षिणी चीन में 14वां) रात को होता है। इस महीने को घोस्ट महीने के रूप में भी जाना जाता है।
माना जाता है कि इस दिन नरक के दरवाजे खुलते हैं और पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी पर भोजन करने और जिन्होंने उनके साथ गलत किया है, उनसे बदला लेने आती हैं। इस फेस्टिवल के आयोजन का मकसद आत्माओं को शांत करना है।
माना जाता है कि इन आत्माओं को स्वर्ग में जाने से रोक दिया गया था। इन आत्माओं को हंगरी इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि इन्हें नरक में बिना भोजन और आराम के भेज दिया गया। बौद्ध और टोइस्टि धर्म में इन आत्माओं को अच्छा नहीं माना जाता है। ये आत्माएं ज्यादातर रात के समय सक्रिय रहती हैं और सांप, कीट, पक्षी, लोमड़ी, भेड़िए एवं शेर का रूप लेती हैं। यहां तक कि ये सुंदर महिला या पुरुष का रूप भी ले लेती हैं और किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करके उसे नुकसान पहुंचाती हैं।
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चीन में मान्यता है कि शांग राजा ने अपने पूर्वजों के बलिदान को याद करने के लिए फेस्टिवल का आयोजन किया था। उसके बाद से यह प्रथा चली आ रही है। इस दौरान विभिन्न रंगारंग प्रस्तुतियों का आयोजन होता है और सभी लोगों को इसमें भाग लेने का न्योता भेजा जाता है।
कार्यक्रम के दौरान पहली दीर्घा की सीट को खाली रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन सीटों पर पूर्वजों की आत्माएं बैठती हैं। वर्तमान में यह फेस्टिवल चीन, जापान, सिंगापुर, मलेशिया, थाइलैंड, श्रीलंका, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, ताइवान और इंडोनेशिया समेत कई एशियाई देशों में मनाया जाता है।