इस झोपड़ी का किराया जानकर रह जायेंगे दंग,जाने क्या है खास

 शराब दुकान के लिए किराए की डिमांड को देखकर कलेक्टर समेत सभी बड़े-छोटे अफसरों के होश उड़ गए हैं। राजधानी में झोपड़ी तक का किराया ढाई लाख रुपए मांगा गया है। सरकार और अधिकारी अधिकतम 50 से 60 हजार रुपए मानकर चल रहे थे, लेकिन अब इतने किराए पर कोई भी अपनी जमीन या भवन को शराब दुकान के लिए देने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में कलेक्टर ओपी चौधरी ने सवा लाख रुपए तक किराया तय करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया है।

इस झोपड़ी का किराया जानकर रह जायेंगे दंग,जाने क्या है खास

 

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सरकार ने पहले नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों से दुकानों का निर्माण करने का फैसला लिया। सरकारी जमीन नहीं मिली और जहां मिली तो उसका विरोध हुआ। इसके बाद सरकार ने झारखंड मॉडल की तरह किराए पर दुकान लेने का निर्णय लिया। किराए की दुकानों का भी कई जगहों पर विरोध हुआ। दो निर्माणाधीन दुकानें तोड़ दी गईं। अधिकारी इसी कोशिश में लगे रहे कि कम किराए में कहीं और दुकान मिल जाएगी, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पा रही है।

सरकार के पास शराब दुकान खोलने के लिए विकल्प नहीं रह गया है, यह बात निजी जमीन और खाली भवनों के मालिक समझ चुके हैं। इसी कारण भाठागांव, चंगोराभाठा, टाटीबंध, गोगांव, राजेंद्र नगर के महात्मा गांधी नगर, अवंति विहार से लगे विजय नगर समेत कुछ और जगहों पर छोटे से मकान, यहां तक कि झोपड़ियों का अनाप-शनाप किराया मांगा है।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कलेक्टोरेट में किराए की दुकानों के लिए मालिकों ने टेंडर आवेदन में एक लाख से ढाई लाख तक किराया भरकर दिया है। अब सरकार और जिला प्रशासन के पास बिल्कुल भी समय नहीं रह गया है। इस कारण सरकार और जिला प्रशासन अनुमानित किराए से दोगुना देने के लिए तैयार हो गए हैं, लेकिन इस पर जमीन या भवन मालिक तैयार होंगे या नहीं, एक अप्रैल को दुकानें खुलने पर पता चलेगा।

हर महीने किराए का ही होगा सात करोड़

प्रदेश में 712 देसी-विदेशी शराब दुकानें खुलेंगी। अगर सरकार प्रति दुकान औसतन एक लाख रुपए भी देती है तो कुल मासिक किराया सात करोड़ रुपए से अधिक होगा। वहीं प्लेसमेंट पर रखे गए कर्मचारियों का वेतन भी हर माह का चार करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंचेगा।

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