तो इसलिए 9 माह तक ही मां के गर्भ में रहता है बच्चा, ऐसे मिलती है उसे सुंदरता के साथ बल और बुद्धि

बच्चा नौ माह तक अपनी मां के गर्भ में रहता है और इसके बाद वो इस दुनिया में आता है। 9 माह तक ही बच्चा गर्भ में क्यों रहता है इसके जहां अनेक वैज्ञानिक कारण हैं वहीं धार्मिक मान्यताएं इस बारे में कुछ और ही कहती हैं। आइए जानते हैं 9 माह तक मां के गर्भ में क्यों रहता है बच्चा…
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 9 ग्रह होते हैं और यही बच्चे की शारीरिक और मानसिक वृद्धि करते हैं। पहले माह में बच्चे पर शुक्र ग्रह का प्रभाव होता है, जो बच्चे को सुंदरता प्रदान करता है। दूसरे माह में बच्चे पर मंगल का प्रभाव होता है, तीसरे माह में गुरू बच्चे की शारीरिक वृद्धि करता है।
जैसे ही चौथा माह लगता है सूर्य बच्चे के अंदर ऊर्जा का संचार करता है। पांचवे महीने में बच्चे पर चंद्रमा का प्रभाव रहता है। छठे महीने में बच्चे पर शनि का प्रभाव रहता है, जो बच्चे को दृढ़निश्चयी बनाता है। इसके बाद सातवें महीने में बच्चा बुध ग्रह के प्रभाव में रहता है, आठवें महीने में दोबारा बच्चा चंद्र ग्रह के प्रभाव में रहता है और नवें महीने में सूर्य ग्रह बच्चे की पूर्ण शारीरिक वृद्धि करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन ग्रहों के प्रभाव के कारण ही बच्चा 9 माह तक मां के गर्भ में रहता है।
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अगर मां की कुंडली में इनमें से कोई भी ग्रह कमजोर हो तो इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। इसी वजह से इनमें से अगर कोई भी ग्रह कमजोर हो तो तुरंत किसी विद्धान पंडित से उसके मजबूत होने के लिए उपाय करने चाहिए। जिससे बच्चे पर ग्रह का अनुकूल प्रभाव पड़े और बच्चा स्वस्थ और सुंदर पैदा हो।





