इसलिए हैं श्रीहरि के 4 हाथ

lordhariji_29_04_2016त्रिदेवों में सबसे बड़े भगवान शिव के तीन नेत्र हैं। सर्वप्रथम उन्होंने ही अपनी अंतर्दृष्टि से श्रीहरि को जन्म दिया। क्षीरसागर निवासी विष्णु जी की नाभि से ब्रह्मा जी ने जन्म लिया। जिनके तीन सिर और चार हाथ हैं। इन पौराणिक कथाओं का विस्तार से उल्लेख पुराणों में मिलता है।

भगवान विष्णु यानी श्री हरि के चार हाथ उनकी शक्तिशाली और सब व्यापक प्रकृति का संकेत देते है उनके सामने के दो हाथ भौतिक अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करते है, पीठ पर दो हाथ आध्यात्मिक दुनिया में अपनी उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करते हैं।

विष्णु के चार हाथ अंतरिक्ष की चारों दिशाओं पर प्रभुत्व व्यक्त करते हैं और मानव जीवन के चार चरणों और चार आश्रमों के रूप का प्रतीक है, जो कि क्रमशः ज्ञान के लिए खोज (ब्रह्मचर्य), पारिवारिक जीवन (गृहस्थ), वन में वापसी (वानप्रस्थ) और संन्यास का प्रतीक हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button