…तो इसलिए शादी से पहले ही देख ली जाती है लड़कियों की चाल!

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इसका कारण केवल यह जानना नहीं होता है कि लड़की के पांव ठीक हैं या नहीं बल्कि इससे यह भी जाना जाता है कि लड़की के गुण और भाग्य कैसे हैं। इस संदर्भ में भविष्य पुराण में विस्तार से बताया गया है। भविष्य पुराण में कहा गया है कि ब्रह्मा जी से जब ऋषियों ने स्त्रियों के उत्तम लक्षण पूछे तब ब्रह्मा जी ने बताया कि स्त्रियों के चलने के तरीके पर सबसे पहले गौर करना चाहिए।
चलते समय जो स्त्री अपने पैरों को जमीन पर आराम से रखती है और गाय के समान इधर-उधर देखे बिना सीधा अपनी राह पर चलती है वह उत्तम होती है। इसी प्रकार हंस और मस्त हाथी के समान इत्मिनान से चलने वाली स्त्री श्रेष्ठ होती है। यह स्वयं भौतिक सुख-सुविधाओं से भरपूर जीवन का आनंद लेती है तथा इनके चरण जिस घर में होते हैं उस घर में लक्ष्मी का वास होता है।
जो स्त्री जमीन पर पांव पटक कर चलती है तथा पूरा पांव जमीन पर बैठाये बिना तेज गति से चलती है ऐसी स्त्री स्वयं दुःख पाती है और माता-पिता एवं पति के कुल को भी कष्ट पहुंचाती है। चलते समय एड़ियों का उठा रहना जीवन में कष्ट का संकेत होता है। मृग के समान आंखों का होना उत्तम होता है लेकिन मृग के समान चाल वाली स्त्री कभी स्वतंत्र नहीं रह पाती है। कौए के समान चाल वाली स्त्री निन्दनीय होती है।
इस पुराण में यह भी कहा गया है कि जिस स्त्री के पांव का रंग लाल कमल के समान कान्ति वाले तथा कोमल होते हैं। चलते समय चरण भूमि पर समतल पड़ते है अर्थात बीच में ऊंचे नहीं रहते हैं। ऐसे पैरों वाली स्त्री का जीवन ऐश्वर्य से भरपूर होता है। यह उत्तम भोग और सुख का आनंद प्राप्त करती हैं।
पैरों की उंगलियां एक दूसरे से मिली और सीधी, गोल, चिकनी तथा नख छोटी हों तो स्त्री महारानी के समान वैभवपूर्ण जीवन जीती है। उंगलियां छोटी और एक-दूसरे से हटी हुई हों तो ऐसी स्त्री के जीवन में धन की कमी बनी रहती है। पैरों का रूखा, फटा हुआ, मांसरहित होना शुभ नहीं होता है। ऐसे चरण वाली स्त्री को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।